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मेरठ : एनकाउंटर के डर से इनामी बदमाश ने कोर्ट में किया सरेंडर

 उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक लाख के इनामी बदमाश ने स्पेशल कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। 3 एनकाउंटर्स और 5 महीने बाद बदमाश आदित्य कुमार को पुलिस ढूंढने का प्रयास कर रही थी। पुलिस की आंख में धूल झोंकते हुए उसने गुपचुप कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सूत्रों की मानें तो आदित्य को डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर कर सकती है। ऐसे में उसने पहले से चल रहे हत्या के एक मामले में अदालत में सरेंडर कर दिया।
विकलांग बनकर पहुंचा आदित्य
आदित्य कुमार ने कोर्ट में सरेंडर करने के लिए पहले से ही तैयारी की। उसने पुलिस को धोखा देने के लिए विकलांग होने का नाटक किया। आदित्य के हाथ में बैसाखी थी जबकि जबकि उसके गैंग का सदस्य रोहित हेल्पर बनकर कोर्ट पहुंचा।
एनकांटर का सता रहा था डर
सूत्रों ने बताया कि आदित्य गिरफ्तारी से बचने के लिए एक स्थानीय बीजेपी के नेता का समर्थन ले रहा था। आरोप है कि बीजेपी नेता आदित्य और उसके सहयोगी रोहित को बचा रहे थे। इधर लगातार यूपी में हो रहे एनकाउंटर के चलते आदित्य और रोहित को डर सता रहा था कि कहीं उनका एनकाउंटर न हो जाए। रोहित पर 20,000 रुपये का इनाम है।
28 साल का आदित्य एक खतरनाक पेशेवर हत्यारा है। उस पर 1 लाख रुपये का इनाम भी है। उसे पकडऩे के लिए सिर्फ यूपी पुलिस ही नहीं बल्कि एटीएस और एसटीएफ भी प्रयास कर रही थी। उसे दबोचने के लिए जिले में उसके पोस्टर्स भी लगाए गए थे।
पुलिस ने बताया कि आदित्य पर बिजनौर और मुरादाबाद जिले के विभिन्न थानों में 16 लूट, हत्या और हत्या के प्रयास के मुकदमे दर्ज हैं। आदित्य ने 30 जनवरी 2016 को हुए गुरप्रीत उर्फ लाडी मर्डर केस में सरेंडर किया है। लाडी नजीबाबाद का रहने वाला था लेकिन उसका शव नेथौर इलाके में मिला था। इस मर्डर केस की सुनवाई विशेष अदालत में चल रही है। अदालत ने आदित्य के खिलाफ 26 जनवरी 2017 को वॉरंट जारी किया था।
सयोहारा थाने के एसएचओ धर्मपाल सिंह ने बताया कि आदित्य और उसका सहयोगी विकलांग बनकर कोर्ट पहुंचे थे। दोनों के हाथ में बैसाखी थी। बुधवार को बहुत ठंड थी। कोर्ट में आए हुए अधिकांश लोगों के मुंह ढके हुए थे इसलिए वे लोग भी मुंह ढककर आए थे। इस वजह से पुलिसवाले उन्हें पहचान नहीं सके।
पुलिस ने बताया कि आदित्य 3 अगस्त 2017 को पुलिस हिरासत से भाग निकला था। उसके ऊपर आईपीसी की धारा 302, 147, 148, 149, 307, 332, 336, 353 और 7 क्रिमिनट ऐक्ट के तहत कई थानों में मामले दर्ज हैं।
 

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