संपादकीय

आमजन का अटूट भावनात्मक रिश्ता- विवेक त्रिपाठी

भारतीय सेना की शौर्य गाथाएं इतनी ज्यादा हैं कि उनके लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। उसने जहां एक ओर अपने पराक्रम का लोहा मनवाया है वहीं दूसरी ओर संकट में फंसे लोगों को बचाया भी है।
स्वतन्त्रता के बाद सेना का भारतीयकरण हुआ। स्वतंत्र भारत की सीमाओं की रक्षा के प्रति उनका समर्पण विधिवत सुनिश्चित हुआ। भारतीय सेना का इतिहास बहुत गौरवशाली है। देश की रक्षा में हर पल लगी रहने वाली भारतीय सेना ने इस पखवाड़े अपने पराक्रम के 70 वर्ष पूर्ण किये। 15 जनवरी 1949 को पहली बार के. एम. करियप्पा को देश का पहला लेफ्टीनेंट जरनल घोषित किया गया। इसके पहले ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर इस पद पर थे।
15 जनवरी 1949 के बाद से ब्रिटिश इंडियन आर्मी से ब्रिटिश शब्द हमेशा के लिए हट गया और उसे इंडियन आर्मी कहा जाने लगा। फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा आजाद भारत के पहले आर्मी चीफ बने थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन के दौरान जो सेना ब्रिटेन के हितों के प्रति जवाबदेह थी, स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा है। इसने दुनिया भर में कई लड़ाइयों और अभियानों में हिस्सा लिया है तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये।
सेना ने अपने पराक्रम से दुश्मनों को लोहे के चने चबवाये। प्रथम कश्मीर युद्ध 1947 में हुआ। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना में भी योगदान किया। 1948 में हैदराबाद का विलय किया गया। गोवा, दमन और दीव का विलय 1961 में सेना द्वारा किया गया। भारत-चीन युद्ध 1962 में लड़ा गया। दूसरा कश्मीर का युद्ध 1965 में लड़ा गया। 1999 में कारगिल का संघर्ष हुआ। इन सभी युद्धों में हमारी सेना ने अपनी बहादुरी के परचम लहराये हैं।
सेना ने बहुत सारी नयी तकनीकों से बुलंदियों को छुआ है। भारतीय सैनिकों के शौर्य, साहस, पराक्रम एवं बलिदान की गाथाएं दशकों से गाई जाती रही हैं। वे गाथाएं इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। शौर्य व साहस के अतिरिक्त भारतीय सेना सैन्य धर्म एवं चरित्रगत आचरण के लिए भी जानी जाती है।
लोकसभा के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 2 साल में दुश्मनों से लड़ते हुए भारतीय सेना के 150 जवान शहीद हुए और वर्ष 2015 में 85 सैनिक शहीद हुए। बार-बार दुश्मन देश की नापाक हरकतों को ठीक करने के लिए सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके इनका जवाब दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते हुए 7 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया था। साथ ही 38 आतंकियों को भी मार गिराया। इस प्रकार की स्ट्राइक की पहले से ही संभावना जताई जा रही थी। सीमा पर पाकिस्तान लगातार सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है। इस साल 20 बार घुसपैठ की गई, लेकिन हमारी सेना ने उसकी कोशिशों को नाकाम कर दिया।
भारतीय सेना का उत्साह लगातार बढ़ता जा रहा है। सेना के इतिहास की गौरव गाथा हमेशा सुनहरे अक्षरों में देखने को मिलती रहेगी। एक आंकड़े में बताया गया है कि अगर सेना में भर्ती होने की उम्र वाले युवाओं की संख्या की बात की जाए, तो चीन के पास ऐसे करीब 1 करोड़ 95 लाख युवा हैं जबकि भारत के पास 2 करोड़ 30 लाख। यह हमारे लिए गौरव का विषय है।
आतंकवाद को शह देने की बात हो या फिर चोरी-छुपे परमाणु हथियार जुटाने की रणनीति, पाकिस्तान अब भी हमारे लिए खतरा है। लेकिन आज भारतीय सेना की ताकत ऐसी है कि वो किसी भी वक्त पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाव दे सकती है। सेना के जवान हजारों फुट की ऊंचाई पर स्थित बर्फीले पहाड़ों में अपनी हड्डियां गलाते हैं और दुश्मन की हर हरकत पर पैनी निगाह रखते हैं, तब जाकर हम अपने शहरों, गांवों और घरों में सुरक्षित रह पाते हैं। इनकी शहादत को हर भारतीय नागरिक को याद रखने की जरूरत है।
आपदा राहत में भी भारतीय सेना का जवाब नहीं। उसकी प्रतिष्ठा पूरे विश्व में है। जब सिविल प्रशासन किसी समस्या का सामना न कर पाने पर अपने हाथ खड़े कर देता है तब सेना के जवान ही मोर्चा संभालते हैं। आपदा में फंसे लोगों में भी सैनिकों को देखकर आत्मविश्वास आ जाता है। हमारे सैनिको ने कर्तव्यपालन से अपने को इसका हकदार बनाया है।

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