छत्तीसगढ़बस्तर

डेढ दशक बाद दंतेवाड़ा जिले में आधा दर्जन पंचायत जुड़ेंगी सड़क से

दंतेवाड़ा:  जिले के संवेदनशील क्षेत्र में विकास की गाथा गढ़ने डेढ़ दशक बाद सड़क दुरूस्तीकरण शुरू कर दिया है। गंजेनार से गाटम तक 21 किमी सड़क अब तीन मीटर की बजाए 9 मीटर चौड़ी बनाई जाएगी। इसके लिए रास्ते के 100 से अधिक पेड़ों की कटाई भी होगी।

फिलहाल राजस्व विभाग ने छह किमी के सड़क में आ रहे 36 पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी है। इस सड़क का साढ़े पांच मीटर चौड़ा डामरीकरण होगा। पहले यह सड़क में साढ़े तीन मीटर चौड़ाई में डामरीकरण था।

कुआकोंडा और कटेकल्याण ब्लॉक के अंदरूनी इलाके के आधा दर्जन पंचायतों को जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है। प्रशासन इस सड़क को बनाने के लिए पूरजोर प्रयास कर रहा है। इसके लिए फोर्स और पंचायत के ग्रामीणों की भी मदद ली जा रही है। डेढ़ दशक से नक्सली दहशत के चलते यह रास्ता ठप हो चुका था।

इस सड़क को नक्सलियों ने दर्जनों जगह काट कर क्षति पहुंचाई। इतना ही नहीं इस सड़क की पुलियों को तोड़फोड़ दिया। यह सड़क करीब आधा पंचायतों की लाइफ लाइन मानी जाती है। साथ ही इन पंचायतों को नक्सलियों के पनाहगाह के रूप में पुलिस देखती आ रही है। प्रशासन की इस कवायद से कयास लगाई जा रही है कि ग्रामीणों की मदद ही विकास का रास्ता प्रशस्त कर रहा है।

बताया जा रहा है कि जर्जर हो चुकी सड़क मरम्मत के लिए ग्रामीणों ने भी ही पहल की थी। इसके बाद प्रशासन ने सर्वे कराकर सड़क निर्माण के लिए लिए 15 करोड़ तीन लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो जरूरत पड़ने पर इस सड़क निर्माण के लिए पंचायत और खनिज निधि से भी राशि आबंटित की जाएगी। फिलहाल इस सड़क को पीएमजीएसवाई तैयार करवा रहा है।

करीब 20 हजार लोगों को होगा फायदा

यह सड़क गंजेनार से गाटम तक बनेगी। इस इलाके में आधा दर्जन पंचायतें हैं। गंजेनार, धनीकरका, गढ़मिरी, बड़ेलखापाल, सूरनार और गाटम में रहने वाले ग्रामीणों के लिए यह सड़क लाइफ लाइन साबित होगी। इसके साथ ही तेलम-टेटम पंचायत के कुछ गांव के लोगों को भी बड़ी राहत देगी। इन पंचायतों की आबादी पर नजर डाली जाए तो 20 हजार से अधिक है।

एक दशक से यहां रहने वाले ग्रामीणों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा। नकुलनार, सूरनार, गाटम, पोंदूम जैसे नजदीकी साप्ताहिक बाजार तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इस सड़क निर्माण पूरा होने के बाद ग्रामीणांे को इस समस्या से पूरी तरह निजात मिलेगा वहीं बीमार लोगों को भी हॉस्पिटल पहुंचने में सुविधा होगी।

धुर नक्सली है ये इलाका

धनीकरका के ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ एक साल पहले आवाज उठाई थी। तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लुरी के सामने कुआकोंडा थाने में ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और क्षेत्र विकास की मांग की थी। इसके कुछ दिनों बाद ही करीब 300 से अधिक नक्सलियों ने धनीकरका गांव को घेरा। घर में घुसकर लोगों के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं सामू मंडावी नामक युवा को गांव वालों के सामने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बावजूद ग्रामीणों के मन में विकास की चाह बनी हुई है।

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