दुर्ग, जिला पुलिस ने पुरानी पुलिस लाईन स्थित रक्षित केन्द्र में थर्ड जेंडरों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला थर्ड जेंडरों के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता विषय पर आधारित था। कार्यशाला में थर्ड जेंडरों ने बेबाकी से अपनी पीड़ा सुनाई। उनका कहना था कि युग बदल रहा है। इसके बावजूद भी थर्ड जेंडरों की बातों को आज कोई गंभीरता से नहीं लेता है। हम नकाब बांधकर चलने विवश हैं, क्योंकि अगर किसी से रास्ते में हमारा विवाद हो गया। भले ही हमारी गलती न हो, लेकिन थर्ड जेंडरों को ही कसुरवार ठहराया जाता है। पुलिस थाना पहुंचने पर भी हमारी कोई सुनवाई नहीं होती। पहले उन लोगों की सुनी जाती है। यह सारे भेदभाव का विषय थर्ड जेंडरों के लिए काफी पीड़ादायक होता है। उनका कहना था कि थर्ड जेंडरों को भी समझा जाए। समाज में उन्हें बराबर सम्मान मिले। थर्ड जेंडर अपने सम्मान के लिए सक्रिय हो गया है। समाज में अपना पहचान बनाने प्रयासरत है। थर्ड जेंडरों ने पुलिस की इस कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए कहा कि खुशी की बात है कि पुलिस विभाग ने हमारी भावनाओं को समझा और कार्यशाला का आयोजन कर हमारा सम्मान बढ़ाया। कार्यशाला को महिला पुलिस अधिकारी सुरेशा चौबे ने भी संबोधित किया। उन्होंने थर्ड जेंडरों को आश्वस्त करते हुए कहा कि पुलिस जितनी महिलाओं के लिए संवेदना है, उतनी थर्ड जेंडरों के लिए भी संवेदनशील है। उन्होंने महिला पुलिस कर्मियों को आह्वान करते हुए कहा कि थर्ड जेंडरों की भावनाओं और समस्याओं को समझकर उन्हें पूरा-पूरा न्याय दिलाने में अपनी भागीदारी दे कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों, समाजसेवी एवं बड़ी संख्या में थर्ड जेंडर के लोग मौजूद थे।
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