स्लम में रहने वाली श्यामा बाई अब खुश है। उसे टेंशन भी नहीं है। दरअसल उसकी खुशी की वजह यह है, कि इस गर्मी उसे पीने के पानी के लिए दौड़-भाग नहीं करनी पडे़गी। मुहल्ले में उसके घर तक नल का कनेक्शन भी आ पहुंचा है। वृद्धा श्यामा बाई बीते दिनों की परेशानी को नहीं भूली। उसे भलीभांति याद है, कि टैंकर की आहट से ही घर में आपा-धापी सी मच जाती थी।
पानी एकत्र करने का जो भी बर्तन हाथ में आता था उसे बाहर लेकर दौड़ पड़ती थी। पाइप को टैंकर में डालने और अधिक से अधिक पानी भरने के लिए जाने क्या से क्या नहीं करना पड़ता था। पीने के लिए पानी हो या फिर घर में अन्य किसी काम के लिए उसे टैंकर पर ही निर्भर रहना पड़ता था। अब श्यामा बाई की टेंशन दूर हो गई है। उसके घर में नल का कनेक्शन भी लग गया है।
पानी के टैंकरों के आने की आहट के साथ टेंशन मोल लेने वाली श्यामा बाई ही नहीं, शहर के झुग्गी सहित पॉश इलाकों में रहने वाले ऐसे अनेक परिवार है, जिनकी समस्या दूर हो गई है और जो बचे है उनकी भी समस्या जल्दी ही पूरी तरह से दूर हो जाएगी। आने वाले कुछ दिनों में पानी के लिए टैंकर का इंतजार करना और टैंकर आने के साथ ही बर्तन लेकर बाहर दौड़ लगाना भी नहीं पडे़गा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया द्वारा सभी निकायों को टैंकर मुक्त करते हुए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। विभाग द्वारा अब तक 14 नगर निगमों में से 4 निगमों, 43 नगर पालिकाओं में से 23 नगर पालिकाओं को और 109 नगर पंचायतों में से 93 नगर पंचायतों को टैंकर मुक्त कर लिया गया है। बचे हुए 46 निकायों में योजनाएं स्वीकृत कर जल आवर्धन के कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं। योजना के पूर्ण होते ही ये निकाय भी अपने क्षेत्र में आसानी से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकेंगे।
जल है तो जीवन है। जल है तो कल है। पानी की बचत कीजिए। पानी को बर्बाद होने से रोकिए। इन छोटे-छोटे शब्दों और वाक्यों में एक ओर जहाँ पानी का महत्ता का संदेश छिपा है, वहीं यह शब्द सभी की जरूरतों से भी जुड़ा है। लोगों की इन्हीं जरूरतों को पूरा करने का उद्देश्य लेकर छत्तीसगढ़ की सरकार सबके घरों को नल कनेक्शन देने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है।
अभी तक 1.42 लाख परिवारों को नल का कनेक्शन प्रदान किया जा चुका है। सतही जल स्रोत आधारित योजनाओं में प्रत्येक व्यक्ति को 135 लीटर प्रतिदिन और नलकूप स्रोत आधारित योजनाओं में 70 लीटर प्रतिदिन के मान से गणना कर योजना तैयार की गई है। इसके साथ ही भागीरथी नल जल योजना के माध्यम से पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित गरीब परिवारों को निःशुल्क नल संयोजन प्रदान किया जा रहा है।