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रायपुर:हिन्दी और सभी प्रादेशिक भाषाओं को विज्ञान की भाषा बनाने की जरूरत : प्रोफेसर पाण्डेय

 रायपुर :छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी और भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आज शुभारंभ हुआ। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रोफेसर एस. के. पाण्डेय ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सभाकक्ष में प्रोफेसर पाण्डेय ने शुभारंभ सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा- भाषाओं को उनके मूल स्वरूप में पढऩा और पढ़ाना चाहिए। कुलपति प्रोफेसर पाण्डेय ने हिन्दी और देश की सभी प्रादेशिक भाषाओं को विज्ञान की भाषा बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश के किसी भी राज्य में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यह कार्यशाला उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पुस्तक लेखन के लिए प्रतिभाओं को निखारने का काम करेगी।
 यह कार्यशाला उच्च शिक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए पुस्तक लेखन में नये लेखकों को जोडऩे के लिए आयोजित की गई है। शुभारंभ सत्र में छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित छह पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इनमें स्वर्गीय डॉ. प्रभुलाल मिश्र की पुस्तक -’ब्रिटिश नीति एवं संबंध’, डॉ. ए.आर. खान की पुस्तक- ’विश्व का इतिहास’ डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र द्वारा सम्पादित -’छत्तीसगढ़ के दुर्लभ ऐतिहासिक स्त्रोत’, डॉ. गीतेश अमरोहित की पुस्तक- ’चिकित्सा दिग्दर्शिका’, जे.एम. सिन्हा की पुस्तक- ’आशुलिपि चिंतन’ और डॉ. विद्यानाथ सिंह की पुस्तक ’ताल सर्वांग’ शामिल हैं। इस अवसर पर भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यू.पी. सिन्हा ने कहा कि हिन्दी न केवल एक भाषा है बल्कि वह देश के सभी राज्यों और सभी क्षेत्रों के बीच एकता का सम्पर्क सेतु भी है। उन्होंने कहा-पाठ्यपुस्तक लेखन में वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा तैयार मानक शब्दकोशों का उपयोग काफी महत्वपूर्ण होगा। पुस्तक लेखन के साथ ही अध्यापन कार्य में भी मानक शब्दों का उपयोग किया जाना चाहिए।  उल्लेखनीय है कि वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा विभिन्न विषयों के 56 परिभाषा शब्दकोषों का प्रकाशन किया गया।
 छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक शशांक शर्मा ने कहा कि अगले 30 वर्षों के लिए हिन्दी में अच्छी गुणवत्ता के पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन और इसके लिए नये लेखकों की पीढ़ी तैयार करना अकादमी का मुख्य उद्देश्य है। राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी की निदेशक डॉ. अनिता नायर और वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार ने भी शुभारंभ सत्र को सम्बोधित किया। कार्यशाला के प्रथम दिवस के दूसरे और तीसरे सत्र में भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग तथा विभिन्न राज्यों की हिन्दी ग्रंथ अकादमियों से संबंधित गतिविधियों पर चर्चा की गई।
 इन सत्रों की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ लेखक और साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी ने कहा-क्षेत्रीय भाषाओं में स्वीकार्यता के लिए हिन्दी भाषा में नये, सुबोध और सुगम्य शब्दों को गढऩे और शामिल करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पारिभाषिक शब्द अवधारणाओं को स्पष्ट और सही रूप से अभिव्यक्त करने में सहायक होते हैं।  चौथे सत्र में भारतीय भाषाओं सहित विदेशी भाषाओं की पुस्तकों के हिन्दी अनुवाद की संभावनाओं पर विचार किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रदेश के वरिष्ठ भाषा वैज्ञानिक डॉ. चितरंजन कर ने की। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुशील त्रिवेदी ने अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्राध्यापक और बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
 दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन कल 21 जनवरी को प्रथम सत्र में ’पुस्तक लेखन एवं अनुवाद: भाषा एवं शब्दावली का प्रयोग’ विषय पर राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी की निदेशक डॉ. अनिता नायर और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ भाषा  वैज्ञानिक डॉ. चितरंजन कर मुख्य वक्ता होंगे। दूसरा सत्र ’पुस्तक लेखन: चित्र, छायाचित्र, अन्य संदर्भ सामग्री एवं प्रतिलिपि अधिकार कानून विषय पर होगा। इसमें कल्याण महाविद्यालय भिलाई नगर के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली के डॉ. डी.के दुसिया मुख्य वक्ता के रूप में अपना व्याख्यान देंगे।
 

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