रायपुर : राज्य के लाखों तेंदूपत्ता संग्राहकों को एक बार फिर से बड़ा झटका लगने वाला है। सरकार ने इस बार न तो बेस रेट तय किया और न ही न्यूनतम दर। ऊपर से कम दर पर टेंडर जमा करने वाले ठेकेदार को ही ठेका दे दिया। इससे करीब 300 करोड़ रूपए की हानि संभावित है। कांग्रेस ने टेंडर निरस्त करते हुए मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराने की भी मांग की है।
कांग्रेस भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश भर में करीब 14 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक हैं। इनमें से अधिकतर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले तथा राज्य के आदिवासी समाज के लोग हैं। भीषण गर्मी में जंगलों में घूम-घूमकर तेंदूपत्ता संग्रह करने वाले तथा तेंदूपत्ता संग्रहण से मिलने वाली राशि से लाखों परिवारों को होने वाली आय पर राज्य सरकार ने फिर से डाका डाल दिया है। श्री बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2012-13 में सरकार ने इसी तरह से घालमेल करते हुए करीब 284 करोड़ रूपए का चूना लगाया था। इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए जारी टेंडर में न तो न्यूनतम दर तय किया गया और न ही बेस रेट तय किया गया।
लिहाजा अधिकतम बोली लगाने वाले ठेकेदारों को दरकिनार करते हुए योजनाबद्ध ढंग से सबसे कम बोली लगाने वाले ठेकेदार को ठेका दे दिया। इससे करीब 300 करोड़ रूपए की हानि संभावित है। श्री बघेल ने दस्तावेज के आधार पर बताया कि जानबूझकर इस बार कम दर पर ठेका दिया गया है, इससे प्रदेश के लाखों तेंदूपत्ता संग्राहक सीधे प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि यदि टेंडर में बोली कम लगी थी तो नियमानुसार इसका फिर से टेंडर जारी होना था। लेकिन राज्य सरकार ने बानबूझकर नियम-कायदों को ताक पर रखकर ठेका जारी कर दिया। कांग्रेस पार्टी ने इस टेंडर को निरस्त कर पुन: टेंडर बुलाए जाने की मांग की है, साथ ही कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस आदोलन के लिए बाध्य होगी। श्री बघेल ने कहा कि चुनावी वर्ष में भी इस तरह की परिस्थितियां क्यों बनती है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि पूरे मामले की हाईकोर्ट के जज से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और सही तथ्य सार्वजनिक होने चाहिए।