चुनावी चौपाल

#शिवराज_का_अंत, चुनावी चौपाल में मुंगावली-कोलारस की हार का विश्लेषण

मध्यप्रदेश में साख का सवाल बन गया था कोलारस और मुंगावली चुनाव, और शायद शिवराज सिंह पर भी इस चुनाव में जीत दर्ज करने का भारी दबाव था, लेकिन इसके बावजूद भाजपा की ये हार सिर्फ मध्यप्रदेश तक ही सीमित नहीं रहने वाली बल्कि इसकी आंच पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ तक जा रही है, जहां पिछली बार भी उसने जैसे तैसे जीत हासिल की थी, आज हम ऐसी ही कुछ बजहों के बारे में जानेंगे, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती हैं, आज हमारी चुनावी चौपाल में हम इसी हार का विश्लेषण करेंगे साथ ही आपको बताएंगे कि कैसे मध्यप्रदेश की ये हार, छत्तीसगढ़ तक असर डाल सकती है,

जनता ने शिवराज को नकारा !

लाख कोशिशें कीं, बीजेपी ने मध्यप्रदेश के करीब-करीब हर धुरंधर को मुंगावली और कोलारस के चुनावों में झोंक दिया गया, लेकिन नतीजा वही हुआ जो पिछले चुनावों में हुआ था, बीजेपी दोनों सीटों जीत दर्ज नहीं कर सकी, और तो और बीजेपी उन गांवों में भी जीत दर्ज नहीं कर सकी जहां, खुद शिवराज सिंह ने रातें गुजारी, मतलब साफ है, जनता कांग्रेस से तो खफा हो सकती है, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार भी उसे खुश रखने में नाकाम साबित हो रही है ।

 

जादूगर का तो चला जादू, पर शिवराज नाकाम !

शिवपुरी के कोलारस विधानसभा के रिजोदा गांव में मुख्यमंत्री की भीड़ में सभा जुटाने के लिए भाजपा ने नए तरह का प्रयोग किए थे. मसलन मतदाताओं को आकर्षित करने और सभा में खाली कुर्सियों को भरने के लिए जादूगर को बुलाया गया. इसके बाद शिवराज ने यहां सभा को संबोधित किया था. लेकिन जादूगर ने ग्रामीण दर्शकों का दिल जीत लिया, पर मतदाता अपना मन पहले ही मना चुके थे, मतलब उन्होने भाजपा की जादूगरी तो देखी, लेकिन पूरे टोने-टोटकों के साथ, शायद यही वजह रही कि उनके आगे शिवराज का मैजिक काम नहीं आया.

शिवराज जिस गांव में 4 बार गए, वहां भी हारे

अशोकनगर जिले के मुंगावली विधानसभा सीट के सेहराई गांव में भी कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ दिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां खुद इस गांव में रात को रुके थे और एक दो नहीं बल्कि चार बार इस गांव में उन्होंने दौरा किया था.

अशोक नगर की मुंगावली विधानसभा सीट की मतगणना में सेहराई गांव की काउंटिंग पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी. सेहराई गांव में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह यादव ने भाजपा की बाई साहब यादव पर बढ़त बनाई.
किसान भी नहीं हुए मोहित

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां रोड शो भी किया था. इसके अलावा उन्होंने किसान सम्मेलन में पहुंचकर सेहराई में डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा था कि आपके यहां सांसद कांग्रेस का और विधायक कांग्रेस का. ऐसे में हमें अपना पैर रखने तक की जगह तक नहीं मिली.

 

कानून व्यवस्था चौपट…?

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह शायद कानून व्यवस्था को भी नहीं संभाल पा रहे हैं, जिसका एक बड़ा खुलासा फोर्थ आई न्यूज ने भी किया था, और ये खुलासा क्या था अगर आप जानना चाहते हैं तो हम उसकी लिंक आपको डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे देंगे ।

 

खतरे में शिव का राज ?

 

पहले चित्रकुट और अटेर और अब मुंगावली और कोलारस जाहिर ये चार जगह की हार, शिवराज सिंह के राह में रोढ़ा बन सकती है, क्योंकि जिस तरह की खबरें पिछले दिनों आ रही हैं उससे दिल्ली हाईकमान भी शिवराज सिंह से खुश नजर नहीं आ रहा है, जिसका एक नजारा हमने गुजरात के सीएम विजय रुपाणी के शपथ ग्रहण समारोह में देखा, जहां शिवराज सिंह को छोड़कर शायद ही कोई भाजपा का मुख्यमंत्री था, जो मंच पर मौजूद नहीं रहा हो, हालांकि तब भी भाजपा की तरफ से इसकी वजह कोलारस और मुंगावली चुनाव को बताया गया था, लेकिन नतीजा अब सबके सामने है ।

 

इस हार के बाद सोशल साइट्स पर ‘शिवराज का अंत’ हैशटैग कर, जमकर ट्विट किए जा रहें हैं, हो भी क्यों न कांग्रेस को काफी लंबे समय बाद एक बार फिर मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज होने की किरण जो दिखाई दे रही है.

 

एमपी की हार से रमन परेशान !

इधर छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की इस हार का असर पड़ने की पूरी संभावना है, क्योंकि लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस को, उम्मीद बंधी है कि जनता एक बार फिर उनकी तर आकर्षित हो रही है, वहीं बात चुनावों की करें तो विधानसभा चुनाव से ऐन पहले, किसी भी तरह की हार पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराती है ।

वीडियो में भी देखें पूर खबर

पुराने चेहरों से भी ऊबी जनता ?

इस बात में कोई शक नहीं कि जनता आज भी कांग्रेस के शासन को नहीं भूली है, क्योंकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने कैसा काम किया था सभी जानते हैं, लेकिन बावजूद इसके अब जनता वही पुराने चेहरों को देख-देखकर थक चुकी है, पंद्रह साल से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में वही लोग सत्ता में हैं जिनपर कई बार कई बड़े-बड़े आरोप लग चुके हैं, बावजूद इसके जनता को उन्हीं के पास अपने काम लेकर जाना पड़ता है ।

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