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रायपुर : धरसींवा के ग्रामीण इलाकों में उद्योगों के कारण वायु एवं जल प्रदूषित होने का मुद्दा उठा

रायपुर  : विधानसभा में आज भाजपा विधायक देवजीभाई पटेल ने धरसीवां के ग्रामीण इलाकों में औद्योगिक प्रदूषण का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जल और वायू प्रदूषण से लोग बीमार हो रहे हैं जिससे स्थानीय लोगों में उद्योगों की मनमानी से आक्रोश है। पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि सब आरोप है जबकि वायु प्रदूषण के लिए व्यवस्था की गई है। प्रदूषण मानक से कम है।देवजीभाई पटेल ने ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से जल भी दूषित हो गया है, जिससे लोग बीमार पड़ रहे है। मंत्री ने कहा कि जल में प्रदूषण नहीं है, पानी पीने के योग्य है। इस पर देवजीभाई पटेल ने कहा कि ध्यानाकर्षण लगाने के बाद वहां जांच की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण विभाग की सरकारी लैब से रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है। उन्होंने मंत्री से मांग की क्या प्राइवेट लैब से जांच कराएंगे? इस पर मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि परीक्षण करा लूंगा। हालांकि तालाब में जल सामान्य पाया गया है।देवजीभाई पटेल ने ध्यानाकर्षण सूचना में यह भी कहा कि धरसींवा का पूरा ग्रामीण इलाका औद्योगिक प्रदूषण की मार से सिहर उठा है वहीं अब प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध जल स्त्रोत भी विषैला हो गया है ना तो सांस लेने के लिए हवा शुद्ध है ना ही पीने के लिए जल 1 दिसंबर 2017 से 18 फरवरी 2018  की अवधि में विकासखंड धरसींवा के ग्राम कन्हेरा पठारीडीह गुमा बाना सहित लालपुर, भुरकोनी में प्रदूषित करने वाला में आसुतोष इंजीनियरिंग व विजय ट्रांसमिशन  उद्योग है जो कन्हेरा पठारीडीह के निजी कृषि भूमि  पर संचालित है इन उद्योग में 24 घंटे निकलने वाले एसिड युक्त प्रदूषित जल ने गांवों के जल स्त्रोत को विषैला बना दिया। जन सामान्य से लेकर जानवर भी इसका दुष्परिणाम भोगने को विवश है गांवों में उपलब्ध बोर  से निस्तारी के लिए तालाब में जल संग्रहण का मुख्य स्त्रोत है मगर बोर के स्त्रोत का जल इतना विषैला हो गया है क तालाब में साबुन का झाग फटने लगा है ग्रामीणों में दाद खाद खुजली आंख में जलन जैसे समस्याओं  उत्पन्न हो चुकी है  वहीं लालपुर भुरकोनी गांवों के समीपस्थ उद्योगों का भी यही हाल है सरकार द्वारा संचालित नल जल योजना भी बुरी तरह इस गांवों में प्रभावित  हुई और इन्हीं  उद्योगों द्वारा नियम  कानून  को ताक में रखकर अनियंत्रित  ढंग से 6 से लेकर 12 से 16 तक बोर करा लिया है जिससे भी आसपास के जल स्त्रोत बंद होने के कगार पर है ना तो ऐसे उद्योग के लिए कोई कानून है ना ही नियम इससे क्षेत्र के लोगों में शासन/प्रशासन के विरूद्ध भारी रोष एवं  आक्रोष व्याप्त है।

151921244223इसके उत्तर में आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने यह सही नहीं है कि धरसींवा का पूरा ग्रामीण इलाका प्रदूषण की मार से सिहर उठा है यह भी सही नहीं है कि क्षेत्र में शुद्ध हवा एवं पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं है वस्तुत: उरला सिलतरा क्षेत्र में स्थापित समस्त प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा जल एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु आवश्यक व्यवस्था की गई है। इस क्षेत्र की परिवेषीय वायु गुणवत्ता में धूल कणों की मात्रा निर्धारित मानकों के अनुरूप है साथ ही गैसीय प्रदूषकों सल्फर  डाई  आक्साईड एवं नाइट्रोजन आक्साईडॅस की मात्रा निर्धारित मानकों से काफी  कम है। इसी प्रकार खारून नदी के विभिन्न स्थलों पर एकत्रित जल नमूना के अनुसार नदी जल की गुणवत्ता भारतीय मानक 2296 के श्रेणी सी के अनुसार पाई गई  जो कि परंपरागत उपचार एवं जीवाणुनापन के उपरांत पीने योग्य है विकासखंड धरसींवा के ग्राम कन्हेरा पठारीडीह गुमा बाना सहित लालपुर भुरकोनी में उपलब्ध शासकीय बोर निजी बोर का जल विषैला होने की शिकायत छग पर्यावरण संरक्षण को प्राप्त नहीं हुई है  राजेश मूणत ने कहा कि 19 फरवरी 2018 को मेसर्स आशुतोष इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज यूनिट-2 ग्राम उरला एवं मेसर्स विजय ट्रांसमिशन प्राइवेट लिमिटेड ग्राम कन्हेरा का निरीक्षण किया गया। इन इकाइयों में गैल्वेनाईजिंग प्रक्रिया से दूषित जल उत्पन्न होता है। इन उद्योगों में दूषित जल के उपचार के लिए दूषित जल उपचार व्यवस्था की गई है। निरीक्षण के समय दूषित जल उपचार संयंत्र कार्यरत पाया गया है। एवं दूषित जल का निस्सारण परिसर के बाहर नहीं पाया गया।
उन्होंने कहा कि उपचारित दूषित जल की कुछ मात्रा परिसर के बाहर संग्रहित पाए जाने के कारण इन उद्वोगों को जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम १९७४ की धारा 33 क के तहत दिनांक 19.2.2018 को नोटिस जारी किया गया है। अत: यह कहना सही नहीं है कि इन उद्योगों द्वारा निरंतर 24 घंटे एसिड युक्त प्रदूषित जल फैक्ट्री से होकर गांवों के जल स्त्रोत को विषैला बना दिया है। निरीक्षण के दौरान ग्राम पठारीडीह के तालाब के जल नमूने का पीएचच 6.8 एवं घुलित आक्सीजन की मात्रा 6.1 मिलिग्राम/लीटर पाई गई, जिसके अनुसार तालाब की जल गुणवत्ता सामान्य है।
श्री मूणत ने कहा कि इस क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण से ग्रामीणों में दाद,खाद खुजली, आंख में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न होने जैसी स्थिति नहीं है। यह भी सही नहीं है कि जिम्मेदार अधिकारी शिकायत मिलने पर शिकायतों को भी नजर अंदाज कर रहे हैं। उद्योगों द्वारा भू जल के अनियंत्रित ढंग से दोहन के नियंत्रण हेतु छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा नवीन उद्योगों को केंद्रीय भू जल बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पश्चा ही संचालन सम्मति प्रदान किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि यह भी उल्लेखनीय है कि उच्चनतम न्यायालय द्वारा पारित आदिश २२.२.२०१७ के परिपालन में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा प्रदेश के जिन जल प्रदूषणकारी उद्योगों में दूषित जल उपचार की व्यवस्था नहीं की गई है। उन्हें बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता के परेशान होने एवं क्षेत्र के लोगों में शासन प्रशासन के विरुद्ध भारी रोष एवं आक्रोश व्याप्त होने जैसी स्थिति नहीं है।
 

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