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कलेक्टर को चुनौती देने वाली झाबुआ की वायरल गर्ल को व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा क्यों है ? जानिये निर्मला की कहानी

मध्यप्रदेश के झाबुआ में प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर को चैलेंज करने वाली आदिवासी छात्रा निर्मला का आक्रामक अंदाज पूरे देश में चर्चा में है । अब इस छात्रा का कहना है कि ये अफसर पब्लिक के लिए ही हैं. और हमारी ही नहीं सुनते. पांच मिनट ये लोग धूप में खड़े नहीं रह सकते, हम दो से तीन घंटे तक वहां धूप में प्रदर्शन कर उन्हें बुलाते रहे। ये नहीं आए इसलिए गुस्सा था । निर्मला शासकीय गर्ल्स कॉलेज में BA फर्स्ट ईयर की छात्रा है। उसका कहना है कि सिस्टम को लेकर उन्हें शुरू से ही गुस्सा है। अपने अधिकारों के लिए खुद को लड़ना होगा।

कलेक्टर नहीं फौजी बनना चाहती है निर्मला

निर्मला कहती है कि वो आर्मी में जाना चाहती है। मुझे सच बोलना पसंद रहा। यही सोचती रहती हूं कि अपनी बात‎ को कैसे दूसरे के सामने रखूं। दिमाग में हर समय‎ यही चलता है। सिस्टम की लचर व्यवस्था‎ के खिलाफ शुरू से ही गुस्सा है। पहले ये गुस्सा कम था। अब बढ़ने लगा है। वो कहती है कि मेरे कमरे से कॉलेज‎ 3 किमी दूर है। रोज पैदल जाती‎ हूं। मुझे पैदल चलने में दिक्कत‎ नहीं है, लेकिन मैंने दूसरों के लिए‎ आवाज उठाई थी।‎ मैं हाथ जोड़कर भाई-बहनों से कहना चाहती हूं कि अपनी आवाज उठाएं, लड़ना सीखें, अधिकारों के लिए संघर्ष करें।

कौन हैं निर्मला


निर्मला आलीराजपुर जिले के खंडाला‎ खुशाल गांव की रहने वाली है। फिलहाल, वो झाबुआ के गर्ल्स कॉलेज में पढ़ रही है। पिता किसान हैं। वो कहती है कि मेरे‎ पास मोबाइल नहीं है। 7 भाई-बहन हैं। आर्मी पंसद है, इसलिए वो आर्मी में जाकर देशसेवा करना चाहती है। इसी‎ साल उसने B.A फर्स्ट ईयर में प्रवेश लिया है । ‎ कलेक्टर का रवैया‎ देखकर उसे गुस्सा आ गया। उसने बताया कि उसे न तो‎ आवास राशि मिल रही है, न‎ छात्रवृत्ति और न ही दूसरी सुविधाएं।‎ कलेक्टर ने आकर हमसे बात‎ तक नहीं की।

ये है मामला

दरअसल अलग-अलग समस्याओं को लेकर पीजी कॉलेज के छात्र- छात्राएं एनएसयूआई की अगुवाई में सोमवार को कलेक्टर सोमेश मिश्रा को ज्ञापन देने पहुंचे थे। कलेक्टर ज्ञापन लेने नहीं आए तो स्टूडेंट्स का सब्र टूट गया। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। छात्राएं भी नारेबाजी करने लगी। निर्मला कह रही थीं कि हम दूर-दूर से अपनी समस्याएं लेकर आए हैं। कलेक्टर के पास मिलने तक का समय नहीं है। यदि वे समस्या दूर नहीं कर सकते तो हमें कलेक्टर बना दीजिए।

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