यह बड़ा पद छोड़कर राजनीती में आए, विधायक बने, फिर 6 साल पार्टी से निष्कासित होने से बचे विधायक शैलेश पांडेय
विधायक शैलेश पांडेय
रायपुर। कहते हैं कि राजनीती में आने का अगर एक बार चस्का लग जाए तो फिर इंसान अच्छे से अच्छा पद भी छोड़ देता है। और अपना सबकुछ दांव पर लगाकर राजनीती के मैदान में कूद जाता है, कुछ की किस्मत अच्छी रहती है तो उसे जनता का आशीर्वाद मिलता है विधायक या संसद बन जाते हैं वहीं कुछ आजीवन एक सामान्य कार्यकर्त्ता के तौर पर अपना जीवन बिता देते हैं। फोर्थ आई न्यूज़ आज आपको जिनके बारे में बताने जा रहा है उन्होनें भी अपने जीवन में एक बड़ा दांव खेला, एक गंभीर रिस्क लेकर। गंभीर इसलिए क्योंकि पहले यह जिस पद पर आसीन थे उसकी कल्पना मात्र से ही व्यक्ति रिस्क लेने से परहेज़ कर ले, मगर इनके मन में कुछ और ही निश्चेय था। और इन्होनें उस पद का त्याग करके राजनीती का दामन थामा और आज बिलासपुर के विधायक हैं।
आज हम बात करने जा रहे हैं बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय की। विधायक शैलेश पांडेय शुरू से कभी राजनीती में नहीं थे। पठन-पाठन में रूचि रखने वाले शैलेश पांडेय बिलासपुर स्थित डॉ सीवी रमन यूनिवर्सिटी में कुलसचिव थे। साल 2017 में उन्होनें इस पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। इसके ठीक अगले साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें बिलासपुर विधानसभा से टिकट दी। हाई प्रोफाइल सीट मानी जाने वाली बिलासपुर विधानसभा से बीजेपी के तत्कालीन विधायक अमर अग्रवाल को कांग्रेस के शैलेश पांडे ने हरा दिया। शैलेश पांडे को कुल 67896 वोट मिले हैं, जबकि अमर अग्रवाल को 56675 वोट मिले। और इस तरह से बिलासपुर की विधायकी शैलेश पांडेय के नाम हो गई।
मगर शैलेश पांडेय की राह विधायक बनने के बाद आसान नहीं रही। वो चुनाव तो जीत गए थे और जनता के लिए काम भी शुरू कर दिया। मगर उनकी अपनी ही पार्टी में उन्हें एक भारी विरोध का सामना करना पड़ा। पिछले साल के सितंबर महीने में उनके नाम एक बड़ा विवाद जुड़ा। शहर के कोतवाली थाने में बवाल हो गया था। यहां बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता जमा हुए थे। सभी कांग्रेस नेता पंकज सिंह के खिलाफ दर्ज मामले का विरोध कर रहे थे। इसी थाने में पंकज के खिलाफ छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS) के टेक्नीशियन ने थप्पड़ मारने की शिकायत की थी और पुलिस ने मामला दर्ज किया था। टेक्नीशियन तुलाराम तांडे ने ही कोतवाली में मारपीट की शिकायत की थी। उसने पुलिस को बताया कि मसानगंज इलाके के एक मरीज सिर में चोट के कारण CIMS में भर्ती थे। उनका MRI होना था। मरीज के परिजन जल्दी कर रहे थे, मैंने उन्हें इंतजार करने को कहा तो उन्होंने पंकज सिंह को बुला लिया। पंकज ने आते ही उससे गालीगलौज की और बाहर ले जाकर थप्पड़ मार दिया था। दोपहर को शहर विधायक शैलेष पांडेय के साथ पंकज सिंह थाने में गिरफ्तारी देने पहुंच गए थे। पंकज ने कहा था कि बिना जांच किए एकतरफा मामला दर्ज किया गया है। पांडेय ने कहा था कि यह पूरी तरह से बदले की कार्रवाई है।
पांडेय के इस बयान को और कोतवाली जाकर हंगामा करने को शहर कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता माना। गुरुवार को कमेटी की बैठक में उपाध्यक्ष रामकुमार तिवारी एक प्रस्ताव लाए कि विधायक को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। कमेटी ने इसे पारित कर दिया। शहर अध्यक्ष प्रमोद नायक ने कहा, ‘कोतवाली में विधायक के समर्थकों ने मुख्यमंत्री जिंदाबाद, मुर्दाबाद जैसे नारे भी लगाए। हम सब कांग्रेसी हैं और यहां कोई गुटबाजी नहीं है। फिर भी विधायक ने कई बार बयान दिया कि जो टीएस समर्थक हैं, उनके खिलाफ ऐसा हो रहा है। यह गैर जिम्मेदाराना है, इसलिए हम उन्हें निष्कासित करने का प्रस्ताव ला रहे हैं। इस प्रस्ताव को प्रदेश कांग्रेस कमेटी भेजा जाएगा।’
शहर कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता के आरोप में अपने ही विधायक को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। लगभग साढ़े 3 घंटे बंद कमरे में चली बैठक के बाद शहर कार्यकारिणी ने यह फैसला लिया। जांच कमेटी के समक्ष बयान देने पहुंचे कांग्रेस कमेटी के शहर उपाध्यक्ष अकबर खान ने कहा वीडियो एडिट किया गया है। इसे टेम्परिंग कर दुष्प्रचार किया गया है। मैं शहर विधायक का सम्मान करता हूं, कभी उनके प्रति दुर्भावना नहीं रही है। लेकिन, मेरी बातों को कहीं नहीं सुना जा रहा है। मुझे फंसाने के लिए वीडियो बनाया गया है। अकबर खान ने कहा वे सामान्य चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शैलेष पांडेय कुछ नहीं कर रहा है और अटल भैया भी कुछ नहीं कर रहे हैं। लेकिन, उस सामान्य चर्चा को एडिट कर गाली-गलौज करने का रूप दिया गया है। तब जाकर यह पूरा विवाद शांत हुआ और शैलेश पांडेय का निष्कासन रुक पाया।