2023 में भूपेश सरकार के सामने रहेंगे यह मुद्दे, क्या दोबारा सरकार बनाना होगा मुश्किल ?
भूपेश सरकार के सामने रहेंगे यह मुद्दे

नमस्कार दोस्तों, फोर्थ आई न्यूज़ में आप सभी का स्वागत है। दोस्तों नए साल की शुरुआत हो चुकी है और इसी के साथ अब हमारे छत्तीसगढ़ में चुनावी साल भी लग गया है। इस साल के अंत में प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस एक बार फिर राज्य में अपनी सत्ता दोहराने के लिए आतुर है लेकिन इस बार सत्ता की राह कांग्रेस के लिए उतनी आसान नहीं होने वाली, क्योंकि अब भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर भूपेश सरकार को काम करना बाकी है नहीं तो इस बार के विधानसभा चुनाव की डगर उनके लिए कठिन हो सकती है।
मुद्दा नंबर एक : आरक्षण
यह इस समय हमारे प्रदेश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है। सरकार ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए 2 दिसंबर 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित तो कर दिया मगर अब तक यह हस्ताक्षर के लिए राजभवन में ही अटका हुआ है। राज्यपाल ने अब तक इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसके लिए बीजेपी जहाँ भूपेश सरकार को दोषी ठहरा रही है तो वहीं राज्य सरकार राजभवन को राजनीती का अखाडा बता रही है। राजभवन और राज्य सरकार के बीच चल रही खींचतान का सीधा असर हमारे प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है। खासकर युवाओं पर क्योंकि राज्य में स्कूल, कॉलेज में एडमिशन, नौकरियों में भर्ती के लिए भी आरक्षण का ही आधार होता है। ऐसे में जनता राज्य सरकार से भी खफा चल रही है कहा यह भी जा रहा है कि सरकार ने बिना तैयारी के विधेयक लाया था इस वजह से राज्यपाल उसपर हस्ताक्षर नहीं कर रहीं हैं। अगर यह मुद्दा ज़्यादा लंबा खिंचाया तब निश्चित ही इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा।
मुद्दा नंबर दो : नियमितीकरण
यह मुद्दा तो साल 2018 के विधानसभा चुनाव से चला आ रहा है। कांग्रेस ने तब विपक्ष में रहते हुए छत्तीसगढ़ के तमाम सरकारी विभागों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों को यह आश्वासन दिया था कि सरकार बनते ही उनका नियमितीकरण होगा मगर अब तक इस दिशा में कोई पहल होती नहीं दिख रही है। छत्तीसगढ़ के जारी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी यह मुद्दा ज़ोर-शोर से गूंजा, भाटापारा से विधायक शिवरतन शर्मा ने इसे उठाया जिसपर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सरकार ने सभी विभागों से अनियमित कर्मचारियों की सूची मंगवाई है। मगर दोस्तों यहाँ आपको हम स्पष्ट कर दें कि इसके पहले पिछले साल भी सूची मंगवाई जा चुकी है। लेकिन अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण अब तक नहीं हो पाया है। अनेकों आंदोलन हो चुके हैं। लेकिन सरकार ने इस विषय पर अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दिया ना ही ठोस पहल ही की है। इस साल के चुनाव में यह मुद्दा शत-प्रतिशत छाया रहेगा जिसे विपक्ष भी भरपूर भुनाएगा।
मुद्दा नंबर तीन : बेरोज़गारी
सरकार भले ही विभिन्न एजेंसियों की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह दावा कर ले कि हमारे प्रदेश में पूरे देश की तुलना में बेरोज़गारी दर सबसे कम या ना के बराबर में मगर सच्चाई यहाँ का हर नौजवान जानता है। सरकारी परीक्षाएं और भर्तियां नहीं हो रहीं, एसआई भर्ती भी अब तक लंबित है। बेरोज़गार युवाओं को अब तक वादे के अनुरूप महंगाई भत्ता नहीं दिया जा रहा। ऐसे में बेरोज़गारी भी साल 2023 के विधानसभा चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभर सकता है और अगर समय रहते सरकार ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की तो इसका खामियाज़ा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
मुद्दा नंबर चार : धर्मान्तरण
यह तो इस समय हमारे प्रदेश के सबसे ज्वलंत मुद्दों में शुमार हो चुका है। धर्मांतरण को लेकर सरकार चौतरफा घिरती नज़र आ रही है। हाल ही में नारायणपुर में हुई घटना इसका ताज़ा उदाहरण है। जहाँ एसपी को भीड़ ने दौड़ा-दौड़कर पीटा। आदिवासी समुदाय लगातार बस्तर क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण का मुद्दा उठाता रहा है और इसपर शासन-प्रशासन के रवैय्ये से खासी नाराज़गी भी ज़ाहिर करता रहा है। लेकिन अब तक धर्मांतरण की आग बुझी नहीं है। विपक्षी बीजेपी को तो बैठे बिठाए इस मुद्दे पर राजनीती करने का मौका मिल गया है। ऐसे में इस साल के चुनाव में धर्मांतरण भी बड़ा मुद्दा रहने वाला है।
मुद्दा नंबर पांच : टीएस बाबा का भविष्य
जी हाँ दोस्तों, यह बेशक सरकार का अंदरूनी मामला हो मगर जिस तरह से सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री और हमारे छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव की नाराज़गी है वो किसी से छिपी नहीं है। मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज़ टीएस सिंहदेव कई बार सार्वजनिक मौकों पर ऐसा बयान दे चुके हैं जिससे यह साफ़ संकेत हैं कि आगामी समय में अगर उन्हें पार्टी में कोई अच्छा स्थान आलाकमान ने नहीं दिया तो सरकार पर संकट आ सकता है। क्योंकि टीएस सिंहदेव के समर्थन में सरकार के कई विधायक हैं भविष्य में अगर कांग्रेस यहाँ दोबारा जीत भी गई और टीएस सिंहदेव को बड़ी पोजीशन नहीं मिली तो कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किल कड़ी होनी तय है। टीएस सिंहदेव तो खुद कह भी चुके हैं कि मैं चुनाव के पहले अपने भविष्य को लेकर कोई बड़ा फैसला लूंगा। अब यह फैसला क्या होता है यह भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। जो 2023 के चुनाव में छाया रहेगा और बीजेपी को भी इसका इंतज़ार रहेगा।
बहरहाल, हमने तो इन 5 बड़े मुद्दों को लेकर विश्लेषण किया है जो 2023 के विधानसभा चुनाव में छाए रहेंगे इनके अलावा भी अगर आपको कोई ऐसे मुद्दे लगते हैं जो इस साल के विधानसभा चुनाव में सरकार को प्रभावित कर सकते हैं।