बिलाईगढ़ विधानसभा : कैसे एक शिक्षाकर्मी बना विधायक,मगर क्या शिक्षाकर्मियों की उम्मीदें हो पाईं पूरी?
क्या इस बार भी मिलेगा शिक्षकों का समर्थन
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नमस्कार दोस्तों, फोर्थ आई न्यूज़ में आप सभी का बहुत-बहुत स्वगत है। दोस्तों, हमारी विधानसभा सीटों के विश्लेषण की स्पेशल सीरीज़ एक बार फिर शुरू हो चुकी है। विधानसभा सीट की विश्लेषण सीरीज़ में आज हम बात करने जा रहे हैं बिलाईगढ़ विधानसभा की। छत्तीसगढ़ प्रदेश का सबसे बड़ा भू-भाग वाला विधान सभा क्षेत्र बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र है जो जिला बलौदा बाजार मुख्यालय से 100 किलोमीटर से भी अधिक दुरी तक फैला हुआ है | सम्पूर्ण बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र है जहा 90% से अधिक भू-भाग असिंचित है जहा रोजगार के लिए कहीं कोई अवसर नहीं है | चारो वोर वनक्षेत्र एवं पहाड़ियों से घिरा हुआ है, नदी – नालों के बाद भी जल स्तर काफी निचे है शिक्षा और स्वास्थ्य का भी कोई कारगर समाधान आज तक नहीं है | यहां के लोगो के लिए हर दिन चुनौती भरा है |
बिलायगढ़ एससी वर्ग के लिएआरक्षित प्रदेश के बलोदाबाजार जिले की एक सीट है. ये बलोदा बाजार लोकसभा सीट का हिस्सा है, जो केंद्रीय इलाके में पड़ता है.यहाँ हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों की बात करें तो साल 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ने डॉ. शिव कुमार दहरिया को बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा था, शिव डहरिया को कुल 55 हज़ार 863 वोट मिले थे, वहीं उनके खिलाफ बीजेपी के डॉ. सनम जनगड़े को 42 हज़ार 241 वोट मिले थे इस तरह से यह सीट कांग्रेस के नाम गई थी।
इसके बाद हुए साल 2013 के विधानसभा चुनाव, इस चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को यथावत रखा था, कांग्रेस ने अपने तत्कालीन विधायक डॉ शिव डहरिया को दोबारा मौका दिया तो वहीं बीजेपी ने अपने हारे हुए प्रत्याशी डॉ. सनम जनगड़े पर एक बार फिर दांव खेला, इस बार बीजेपी का यह दांव चल गया और कांग्रेस को तत्कालीन विधायक डॉ शिव कुमार धरिया को मौका देना भारी पड़ गया। बीजेपी प्रत्याशी डॉ. सनम जांगड़े को कुल 71 हज़ार 364 वोट मिले तो वहीं शिवकुमार दहरिया को मात्र 58 हज़ार 669 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।
पिछले चुनाव यानी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में समीकरण पूरी तरह से बदले हुए थे, शिक्षाकर्मियों ने अपने संविलियन की मांगों के साथ तत्कालीन रमन सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा था, इन शिक्षाकर्मियों की संख्या लाखों में थी, लिहाज़ा कांग्रेस ने बतौर विपक्ष रहते हुए इस मौके को भरपूर भुनाया और शिव डहरिया का टिकट काटते हुए एक आम शिक्षाकर्मी को अपना प्रत्याशी बनाते हुए बिलाईगढ़ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, कांग्रेस के प्रत्याशी थे चंद्रदेव राय,उन्हें गुरूजी की संज्ञा दी जाती है। पेशे से शिक्षक और शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को लीड कर रहे चंद्रदेव राय कभी खुद अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थे, मगर उनके पीछे शिक्षाकर्मी संघ का एक बड़ा जनसमर्थन था, और इसी जनसमर्थन ने राय को बीजेपी प्रत्याशी और तत्कालीन विधायक डॉ सनम जांगड़े के खिलाफ एक बड़ी जीत दिलाई।
कांग्रेस उम्मीदवार इस चुनाव में कुल 71936 वोट. वहीं, बसपा से श्याम कुमार टंडन को 62089 वोट तो बीजेपी उम्मीदवार सनम जनगड़े 40623 पाकर तीसरे नंबर पर रहे। आपको यहाँ यह भी स्पष्ट कर दें कि चुनाव से पहले रमन सरकार ने प्रदेश के कुछ शिक्षकों का नियम व् शर्तें लागू करते हुए संविलियन कर दिया था, बाकी जो बचे हुए शिक्षक थे उन्हें कभी समयकाल तो कभी किसी और पात्रता के चलते संविलियन के दायरे में नहीं लाया गया था।
उन शिक्षकों को उम्मीद थी कि चंद्रदेव राय के विधायक बनने के बाद इन बचे हुए शिक्षकों की मांगें भूपेश सरकार पूरी करेगी, आज चंद्रदेव राय ना सिर्फ बिलाईगढ़ से विधायक हैं, बल्कि संसदीय सचिव भी हैं, लेकिन आज भी शिक्षाकर्मियों का एक बड़ा वर्ग अपनी बची हुई मांगों के साथ उनसे आस लगाए बैठा है। कहा जाता है कि चंद्रदेव राय अब शिक्षाकर्मियों से उतने नज़दीक नहीं हैं जितना वो राजनीती में आने से पहले हुआ करते थे, क्या आप यह मानते हैं कि व्यस्तता के चलते ऐसा हुआ है ?
इस साल के चुनाव में खबर मिल रही है कि कांग्रेस एक बार फिर गुरूजी राय को दोबारा इस सीट से टिकट दे सकती है, बीजेपी में इस बार प्रत्याशी बदले जाने की खबर है, क्या बिलाईगढ़ की जनता दोबारा चंद्रदेव राय को इस क्षेत्र का विधायक चुनेगी।