
रायपुर। छत्तीसगढ़ की धरती पर जब महिलाओं की आत्मनिर्भरता की बात होती है, तो ‘महतारी वंदन योजना’ का नाम सबसे पहले सामने आता है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि लाखों महिलाओं के लिए उम्मीद की वह रोशनी है, जिसने अभावों के अंधेरे को चीरकर उनके जीवन में उजाला बिखेरा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की दूरदृष्टि और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के संकल्प से संचालित यह योजना महिलाओं के जीवन में एक स्थायी बदलाव की इबारत लिख रही है। यह न केवल आर्थिक रूप से सशक्त करने का जरिया है, बल्कि महिलाओं में आत्मगौरव और सामाजिक भागीदारी की भावना भी जगा रही है।
शांति नाग की कहानी: संघर्ष से सम्मान तक का सफर
सुकमा जिले के सुदूर वनांचल छिंदगढ़ की शांति नाग की कहानी इस बदलाव की एक जीवंत मिसाल है। खेतों में मेहनत और मजदूरी से परिवार का पेट पालने वाली शांति के लिए हर दिन एक नई चुनौती थी। लेकिन जब महतारी वंदन योजना के तहत हर माह एक हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता मिलने लगी, तो उसका जीवन जैसे नई दिशा में मुड़ गया।
“अब रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में आसानी होती है। बच्चों की पढ़ाई और सेहत पर ध्यान दे पा रही हूँ। अब मैं खुद को सिर्फ एक मां नहीं, एक आत्मनिर्भर महिला भी महसूस करती हूं,” – शांति की आंखों में आत्मविश्वास साफ झलकता है।
पुजारीपाल की महिलाएं: पहचान की ओर बढ़ते कदम
छिंदगढ़ के ही आश्रित ग्राम पुजारीपाल की महिलाएं भी इस योजना से गहरे जुड़ाव की बात कहती हैं। उनके अनुसार, यह सहायता सिर्फ रुपये नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान और सामाजिक पहचान की पूंजी है। अब वे सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं, बल्कि अपने परिवार की खुशहाली और समाज की तरक्की में भी भागीदार बन चुकी हैं।
संख्याओं से परे, एक क्रांति का संकेत
10 मार्च 2024 को शुरू हुई महतारी वंदन योजना के तहत अब तक 10,433.64 करोड़ रुपये सीधे महिलाओं के खातों में भेजे जा चुके हैं। 21 से 60 वर्ष की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल रहा है।
यह आंकड़े भले ही सरकारी रिपोर्ट में दर्ज हों, लेकिन इसके पीछे असली कहानी उन मुस्कराते चेहरों की है, जो अब खुद को बोझ नहीं, बदलाव की वाहक मानती हैं।