
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति के सकारात्मक प्रभाव अब ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में दिखाई देने लगे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना के तहत राज्य के अनेक स्कूलों में फिर से शिक्षा की अलख जलने लगी है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड स्थित पाकरगांव प्राथमिक शाला इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बन चुकी है।
लंबे समय तक शिक्षकविहीन रही यह शाला अब फिर से शिक्षा की मुख्यधारा में लौट आई है। कभी एकल शिक्षक के सहारे चलने वाला यह स्कूल कुछ समय के लिए पूरी तरह बंद होने की कगार पर था। शिक्षक के तबादले के बाद स्कूल में बच्चों की उपस्थिति लगातार घटती गई और अभिभावकों में निराशा फैलने लगी।
लेकिन सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण नीति लागू किए जाने के बाद पाकरगांव प्राथमिक शाला में दो नए शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। अब कक्षाओं में नियमित पठन-पाठन हो रहा है। बच्चे न केवल अक्षरज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों में भी अच्छी प्रगति कर रहे हैं। कक्षा में अब अंग्रेजी शब्दों का उच्चारण, हिंदी के पाठ और गणित के पहाड़े गूंजने लगे हैं।
विद्यालय में आई इस नई ऊर्जा से न सिर्फ बच्चे बल्कि उनके अभिभावक और ग्रामवासी भी उत्साहित हैं। अब पालक अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेज रहे हैं और शिक्षा के प्रति उनका विश्वास मजबूत हुआ है। गांव में शिक्षा को लेकर एक सकारात्मक माहौल बना है।
विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष त्रिनाथ सतपथी ने बताया कि युक्तियुक्तकरण नीति के तहत मिली शिक्षकों की नियुक्ति से शाला में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ी है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शासन प्रशासन के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह पहल गांव के बच्चों के भविष्य को नई दिशा दे रही है।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में यह बदलाव न केवल शिक्षकविहीन स्कूलों को राहत दे रहा है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव भी मजबूत कर रहा है। युक्तियुक्तकरण जैसी योजनाएं राज्य के शिक्षा तंत्र को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।