बस्तर की महिलाएं बन रहीं हैं ‘लखपति दीदी’, बिहान योजना से आत्मनिर्भरता की नई मिसाल

जगदलपुर | 20 जुलाई 2025 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की महिलाएं अब आत्मनिर्भरता और समृद्धि की नई कहानी लिख रही हैं। जगदलपुर, तोकापाल, लोहंडीगुड़ा और दरभा विकासखंडों में विकसित किए गए 16 इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर्स के माध्यम से लगभग 4600 ग्रामीण परिवारों को एकीकृत खेती और विविध आजीविका गतिविधियों से जोड़ा गया है।
इसका मुख्य उद्देश्य है— समूह की हर महिला को ‘लखपति दीदी’ बनाना, ताकि वे सालाना ₹1 लाख से अधिक की आय अर्जित कर सकें।
पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर उन्नत तकनीक की ओर

‘बिहान’ परियोजना के अंतर्गत महिलाओं को उन्नत बीज, जैविक खाद, मल्चिंग, मचान जैसी तकनीकों के साथ प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जिससे खेती अधिक लाभकारी और टिकाऊ बन सके। इसके साथ ही फसल रोग प्रबंधन, बाजार रणनीति और आय-वृद्धि पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बाड़ी से आत्मनिर्भरता तक: सब्जी उत्पादन से बदली जिंदगी
परियोजना के पहले चरण में 1800+ दीदियों ने 5 से 10 डिसमिल भूमि पर लतर वाली सब्जियों जैसे करेला, लौकी, बरबटी, तरोई और गिलकी का उत्पादन शुरू किया है।
प्रमुख उदाहरण:
- ग्राम कलचा की जयंती बघेल – 15 डिसमिल में सब्जी उत्पादन
- ग्राम नेगीगुड़ा की पद्मा बघेल – 10 डिसमिल
- ग्राम बीजापुट की चंपा बघेल – 25 डिसमिल
- ग्राम करणपुर की हीरामणि – 5 डिसमिल
इन प्रयासों से घरेलू पोषण, स्वास्थ्य, और आर्थिक मजबूती में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। महिलाएं अब बाजार से सब्जी खरीदने की बजाय खुद उत्पादन कर रही हैं, और बची हुई फसल को बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर रही हैं।
स्थानीय से राष्ट्रीय बाजार तक
‘बिहान’ योजना का अगला लक्ष्य है — बस्तर में उत्पादित सब्जियों को जिले के बाहर तक पहुंचाना। इससे न सिर्फ उत्पादक महिलाओं को बड़ा बाजार मिलेगा, बल्कि उनके उत्पादों की पहचान भी राष्ट्रीय स्तर पर बनेगी।




