कौन हैं DSP ऋषिका सिंह ? जिनके वर्दी में शिवभक्तों की सेवा पर उठे सवाल
वर्दी में शिवभक्तों की सेवा करने वाली ये अफसर कौन हैं ?

जब कोई पुलिस अफसर संवेदना दिखाता है, तो कुछ लोगों को उसमें भी परेशानी हो जाती है। वैसे पुलिस की ड्यूटी को लोग सिर्फ सख्ती मानते हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि वर्दी में भी एक इंसान है, जिसके भीतर भी संवेदनाएं हैं । और वर्दी में रहकर भी इंसानियत को न भूलने वाले असल मायने में नेतृत्वकर्ता माने जाते हैं । सोशल मीडिया के कुछ तथाकथित ठेकेदारों ने जब यूपी पुलिस की डीएसपी ऋषिका सिंह पर इसलिए सवाल उठाने शुरू कर दिए कि उन्होंने शिवभक्तों के पैर दबाए, और इस बहस को पुलिस की सेवा की परिभाषा तक से जोड़ दिया गया । कुछ लोगों ने तो इस वीडियो की तुलना एक पुराने विवादास्पद मामले से भी कर दी, जहां एक पुलिसकर्मी ने सड़क पर नमाज पढ़ रहे व्यक्ति के साथ अभद्रता की थी । लेकिन क्या ये तुलना उचित है. क्या एक पुलिस अधिकारी का भावनात्मक और मानवीय पक्ष दिखाना गलत है. इन सवालों के जवाब आप कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं, और फोर्थ आई न्यूज पर हम इस वीडियो के जरिये बताने की कोशिश करेंगे कि ऋषिका सिंह कौन हैं और उनका जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसपर उन्होने क्या कहा है ।
दरअसल उत्तर भारत का कांवड़ मेला आस्था का विशाल संगम है । हर साल लाखों शिवभक्त कांवड़ लेकर गंगाजल लाने निकलते हैं । इस दौरान ‘बोल बम’ के नारों से वातावरण गूंज उठता है, और सड़कों पर सिर्फ भक्ति की लहरें दौड़ती हैं । इसी माहौल में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें यूपी पुलिस की डीएसपी ऋषिका सिंह एक शिविर के बाहर थके हुए शिवभक्तों के पैर दबाती नजर आ रही हैं । इस वीडियो ने जहां कुछ लोगों को भावुक कर दिया, वहीं कुछ लोगों ने इसे अनुचित ठहराने की कोशिश की । ऋषिका सिंह वर्दी में हैं और वे बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों के पैर पर मालिश करती हुई वीडियो में नजर आ रही हैं ।
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई । कुछ लोगों ने कहा कि एक अधिकारी को वर्दी में इस तरह की सेवा नहीं करनी चाहिए । वहीं कुछ लोगों ने पुलिस की इस सेवा को उस वीडियो से जोड़ दिया जिसमें एक पुलिस कर्मी सड़क पर बैठे नमाजियों से अभद्रता कर रहा है । लेकिन इस बीच डीएसपी ऋषिका सिंह ने खुद सामने आकर स्थिति स्पष्ट की।
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन की यही मंशा है कि महिला कांवड़ियों और भक्तों की यात्रा सकुशल हो । ड्यूटी के साथ-साथ अगर हम सेवा कर सकें तो यह हमारे लिए सौभाग्य है।”
उन्होंने ये भी बताया कि उस रात वे शामली-मुजफ्फरनगर बॉर्डर के पास लालूखेड़ी चौकी पर तैनात थीं । उन्होंने महिला कांवड़ियों से बातचीत के दौरान जाना कि इतनी लंबी पैदल यात्रा के कारण उनके पैरों में काफी तकलीफ होती है । उसी मानवीय भावना से प्रेरित होकर उन्होंने यह सेवा की। उन्होंने कहा, “जब हमने खाकी पहनी है, तो हम हर पीड़ित को एक जैसा देखते हैं। हमारी ट्रेनिंग हमें यही सिखाती है कि मानव सेवा ही भगवान की सेवा है। मुझे इससे कोई क्रेडिट नहीं चाहिए।”
वैसे ऋषिका सिंह का ये बयान उन तमाम आलोचकों को करारा जवाब है जो इस कार्य को धार्मिक चश्मे से देखने की कोशिश कर रहे हैं । क्योंकि पुलिस को लाठी बरसाता देख कुछ लोग पुलिस को जनता का सेवक होने की बात कहते हैं, और अब जब वो सेवा करती हुई दिख रही हैं, तो उन्हें कोसा जा रहा है ।
कौन हैं ऋषिका सिंह ?
कांवड़ियों की सेवा कर वायरल होने वाली ऋषिका सिंह के बारे में भी जान लीजिये, दरअसल सोशल मीडिया पर जिस डीएसपी ऋषिका सिंह की संवेदनशीलता की चर्चा हो रही है, वहां तक का सफर भी आसान नहीं था। उन्होंने ऋषिका सिंह 2019 से यूपीपीएससी की तैयारी शुरू की । तीन बार असफल रहीं। 2021 में इंटरव्यू तक पहुंचीं, लेकिन चयन नहीं हुआ। आखिरकार 2022 में उन्हें 80वीं रैंक मिली और वे डीएसपी बनीं । आज वे मुजफ्फरनगर के फुगाना सर्किल में तैनात हैं। पुलिस की वर्दी में जन सेवा करती दिख रही ऋषिका सिंह ने सही किया या गलत सोशल मीडिया पर चर्चा है, आप भी कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर रखें ।