अलास्का से विजयी होकर पुतिन वापस लौटे, बड़ी-बड़ी हांकने वाले डोनाल्ड ट्रंप को दिखा दिया ठेंगा

अलास्का में हुई बहुप्रतीक्षित बैठक में पुतिन ने रूस की जीत दर्ज की। ट्रंप कोई ठोस समझौता नहीं कर पाए और युद्ध जारी रहने की संभावना बढ़ गई।
दुनिया की निगाहें अलास्का में हुई अमेरिकी और रूसी नेताओं की बहुप्रतीक्षित बैठक पर टिकी थीं। इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने आए। बैठक का परिणाम अब स्पष्ट हो गया है। पुतिन ने रूस की स्थिति को मजबूत रखते हुए कहा कि यूक्रेन पर हमला जारी रहेगा और ट्रंप किसी ठोस समझौते में सफल नहीं हो पाए।
बैठक की शुरुआत गर्मजोशी भरे स्वागत से हुई। पुतिन और ट्रंप एक ही बुलेटप्रूफ लिमोजिन में बैठे, मुस्कुराते और हाथ मिलाते दिखे। लेकिन यह सौहार्द बैठक के परिणामों पर असर डालने में नाकाम रहा। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने स्पष्ट किया कि रूस को युद्ध के मूल कारणों को खत्म करना है, यानी NATO की सीमाओं पर अपनी उपस्थिति। उनका बयान संकेत देता है कि युद्ध का अंत फिलहाल संभव नहीं है।
पुतिन ने यह भी कहा कि अगली बैठक मॉस्को में होगी, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की भूमिका भी संदिग्ध रह सकती है। वहीं ट्रंप ने मीडिया के सामने मात्र साढ़े तीन मिनट तक ही बात की और किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। उन्होंने केवल यह कहा कि वे NATO और ज़ेलेंस्की को बैठक के परिणामों से अवगत कराएंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बहुत कमजोर परिणाम माना जा रहा है।
बैठक में रूस की ओर से शीर्ष आर्थिक सलाहकार, हार्वर्ड-शिक्षित किरील दिमित्रिएव समेत कई प्रतिनिधि मौजूद थे। इससे संकेत मिलता है कि रूस ने इस शिखर वार्ता को सिर्फ कूटनीतिक नहीं बल्कि व्यापारिक अवसर के रूप में भी देखा।
यूरोपीय नेताओं और यूक्रेन को यह राहत जरूर मिली कि बैठक में यूक्रेन की सीमाओं को पुनः परिभाषित करने पर कोई चर्चा नहीं हुई। लेकिन पुतिन के बयान से यह स्पष्ट हो गया कि युद्ध और लंबा खिंच सकता है।
कुल मिलाकर, अलास्का की इस बैठक से पुतिन का विजयी रिटर्न हुआ। ट्रंप के लिए जीत केवल युद्धविराम कराने में थी, जबकि पुतिन ने अस्पष्ट शब्दों में आगे बातचीत की सहमति जताकर अपनी स्थिति मजबूत की। 1867 में रूस ने अलास्का अमेरिका को बेचा था, लेकिन 2025 में भू-राजनीतिक मुकाबले में पुतिन अलास्का से विजयी लौटे।


