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संविधान बनाम सियासत: पीएम-सीएम हटाने वाले विधेयक पर गरमाई दिल्ली, कपिल सिब्बल ने साधा तीखा वार

देश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है — इस बार बहस संविधान के उस संशोधन को लेकर छिड़ी है जो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आरोपों में हिरासत की स्थिति में पद से हटाने का रास्ता दिखाता है। संसद में पेश हुए 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर जहां सत्ता पक्ष इसे “जवाबदेही की दिशा में क्रांतिकारी कदम” बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र के खिलाफ “एक और झटका” मान रहा है।

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस विधेयक को लेकर केंद्र पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि ये कानून नैतिकता की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि राजनीति को साधने के लिए लाया गया है।

“संविधानिक नैतिकता की बात करने वाली ये सरकार होती कौन है?” — सवाल सिब्बल का है, जवाब शायद सत्तापक्ष को ढूंढना होगा।

‘संविधानिक नैतिकता’ की दुहाई और हकीकत के सवाल

सिब्बल ने तीखे शब्दों में पूछा, क्या गृह मंत्री महाराष्ट्र, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गोवा और कर्नाटक में सरकार गिराने के तरीकों पर ‘संवैधानिक नैतिकता’ का प्रवचन दे सकते हैं?

“आप लालच देते हैं, पदों का सौदा करते हैं, सरकारें गिराते हैं… और फिर नैतिकता की बात करते हैं? भारत ने इससे अनैतिक सरकार शायद ही कभी देखी हो।”

‘अब लोग जान चुके हैं सच्चाई’

सिब्बल का कहना है कि सरकार लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब देश की जनता पहले जैसी नहीं रही।

“कुछ वक्त के लिए कुछ लोगों को मूर्ख बनाया जा सकता है, लेकिन सभी को हर समय नहीं। देश अब जाग चुका है।”

क्या है विवादित विधेयक?

20 अगस्त को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधेयक पेश किए:

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025

केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025

इन विधेयकों के जरिए, गंभीर आरोपों में गिरफ्तार नेताओं को पद से हटाने का प्रावधान जोड़ा गया है — विपक्ष का आरोप है कि इससे राजनीतिक विरोधियों को टारगेट करना आसान हो जाएगा।

अब आगे क्या?

संसद में इस बिल पर बहस गर्म है, विरोध के स्वर तेज हैं, और राजनीतिक तापमान नए स्तर पर पहुंच चुका है। सवाल यही है — क्या ये विधेयक लोकतंत्र को मज़बूत करेगा या सत्ता का केंद्रीकरण?

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