देश की ताज़ा खबरें | Fourth Eye News

सनातन परंपरा का अमूल्य मिलन: दो महान संतों की आत्मीय भेंट

सनातन धर्म की दिव्यता तब और भी उजागर हुई जब दो प्रमुख संप्रदायों के संत — वैष्णव संप्रदाय के राधावल्लभीय मत के आदरणीय संत प्रेमानंद और उदासीन संप्रदाय के गुरुशरणानंद — आमने-सामने हुए। यह मिलन न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि सभी के लिए एक भावुक अनुभव बन गया। दोनों संतों की आँखें नम हो उठीं और वातावरण भक्ति की गहन ऊर्जा से परिपूर्ण हो गया।

सुबह के करीब आठ बजे गुरुशरणानंद जी श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचे। प्रेमानंद महाराज ने उनका साष्टांग प्रणाम कर सम्मान किया। गुरुशरणानंद ने स्नेहपूर्वक उन्हें गले लगाया, मानो वर्षों बाद दो बिछड़े भाई मिल गए हों। इस मिलन ने वहां उपस्थित सभी भक्तों के दिलों को छू लिया।

संत प्रेमानंद ने गुरुशरणानंद जी के चरण धोए, चंदन लगाया और हार पहनाया। यह अत्यंत विलक्षण था क्योंकि गुरुशरणानंद जी वर्ष में केवल गुरुपूर्णिमा के दिन ही चरण पूजन स्वीकार करते हैं, लेकिन प्रेमानंद की विनम्र प्रार्थना पर उन्होंने अपना संकल्प तोड़ दिया।

दोनों संतों की प्रेरणादायक वार्ता में गुरुशरणानंद ने प्रेमानंद की भक्ति और युवा पीढ़ी में सनातन जागृति के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “आप भक्तों के प्रेरणा स्रोत हैं। ईश्वर आपको लंबी आयु प्रदान करें।” प्रेमानंद ने भी बड़े विनम्रता से कहा कि वे श्रीजी की इच्छा से ही इस शरीर में बने रहेंगे।

इस हृदयस्पर्शी मिलन के बाद, प्रेमानंद ने आश्रम के अन्य संतों से गुरुशरणानंद के दर्शन की भी प्रार्थना की। विदाई के समय उन्होंने कहा, “आपके बिना आश्रम सूना है, लौटने की अनुमति देना असंभव है। आपका आगमन हमारे लिए परम आनंद का कारण है।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button