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छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों का बड़ा आंदोलन, सरकार को चेतावनी – “मांगें नहीं मानीं तो धान खरीदी बहिष्कार तय”

रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी सीजन शुरू होने से पहले ही सहकारी समितियों के कर्मचारी और अधिकारी मैदान में उतर आए हैं। दुर्ग संभाग की 502 समितियों के करीब दो हजार कर्मचारियों ने दुर्ग के मानस भवन के पास जोरदार प्रदर्शन किया।

कर्मचारियों ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है – अगर उनकी चार सूत्रीय लंबित मांगें तुरंत पूरी नहीं की गईं, तो वे धान खरीदी का बहिष्कार करेंगे और अनिश्चितकालीन आंदोलन छेड़ देंगे।

मुख्य मांगों में दो प्रमुख मुद्दे हैं —

समितियों को वर्ष 2024-25 की सुखत राशि तुरंत दी जाए।

धान परिवहन में देरी रोकने और खरीदी केंद्रों में शून्य शॉर्टेज पर प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था लागू की जाए।

छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और समर्थन मूल्य धान खरीदी ऑपरेटर संघ ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, सहकारिता मंत्री केदार कश्यप और वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा।

कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि शासन के पिछले साल के वादे अधूरे हैं, जिससे समितियों की वित्तीय स्थिति चरमरा गई है। प्रदेश की 2058 समितियां और 2739 उपार्जन केंद्र किसानों की सेवा में जुटे हैं, लेकिन धान परिवहन में देरी और मिलरों द्वारा उठाव न करने से समितियों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है।

मार्कफेड द्वारा भुगतान से पहले सुरक्षा और सुखत व्यय की राशि काट ली जाती है, जबकि धान उठाव में देरी की पेनाल्टी शासन अपने पास रखता है। इससे समिति कर्मचारियों को वेतन में भारी देरी झेलनी पड़ रही है।

संगठन ने याद दिलाया कि दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी बैठक में कई अहम फैसले लिए गए थे, लेकिन विभागीय क्रियान्वयन आज तक अधूरा है।
खास तौर पर 12 दिसंबर 2024 को खाद्य विभाग का जारी पत्र, जिसमें समितियों को सुखत राशि देने के निर्देश थे, अब तक ठंडे बस्ते में पड़ा है।

कर्मचारियों ने साफ कहा – “अब वादों पर नहीं, कार्रवाई पर भरोसा करेंगे। अगर सरकार ने कदम नहीं उठाया, तो इस बार धान खरीदी ठप हो जाएगी।”

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