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आदिवासी युवाओं के हाथ में हरित भविष्य: कौशल प्रशिक्षण से मजबूत हो रहा जैव विविधता संरक्षण

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड आदिवासी अंचलों के युवाओं को कौशल विकास और प्रकृति संरक्षण से जोड़कर एक नया हरित रोजगार मॉडल तैयार कर रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से शुरू किए गए हरित कौशल विकास कार्यक्रम के जरिए जंगलों में रहने वाले युवाओं को व्यवहारिक जानकारी, प्रशिक्षण और आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

कौशल विकास के साथ संरक्षण की मजबूत दिशा

आदिवासी युवाओं को नया अवसर

यह कार्यक्रम सिर्फ प्रशिक्षण का हिस्सा नहीं, बल्कि युवाओं को पर्यावरण-हितैषी करियर की ओर प्रेरित करने की पहल है। इसमें राष्ट्रीय उद्यान गाइड, प्राकृतिक इतिहास प्रदर्शक, वन आधारित आजीविका विशेषज्ञ, औषधीय पौधों की पहचान, पारंपरिक वन संरक्षण तकनीक और पर्यटन गाइडिंग जैसे कौशल सिखाए गए।

10 से 30 दिन का प्रशिक्षण — 105 युवा हुए तैयार

जांजगीर, कटघोरा, कोरबा, जगदलपुर, बीजापुर और सुकमा सहित विभिन्न जिलों से कुल 105 युवाओं ने प्रथम चरण का प्रशिक्षण पूरा किया। प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क था।
खास बात यह रही कि सुकमा जिले के 65 युवाओं ने 153 औषधीय पौधों और 47 प्रजातियों के पक्षियों की पहचान दर्ज की। विशेषज्ञों ने हर्बेरियम तैयार करना, सर्वे उपकरणों का उपयोग और जैव विविधता दस्तावेजीकरण भी सिखाया।

वैज्ञानिक पद्धति से परंपरागत ज्ञान संरक्षित

कार्यक्रम का एक और अनूठा पहलू यह है कि युवाओं को वैज्ञानिक तरीके से अपने समुदायों के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे स्थानीय समुदायों में जागरूकता के साथ संरक्षण की भागीदारी भी बढ़ रही है।

रोजगार का उभरता माध्यम —

ईको टूरिज्म में मिल रहा नया भविष्य

प्रशिक्षण के बाद कई युवा अब ईको-गाइड, नेचर गाइड, सर्वे टीम और ईको-टूरिज्म गतिविधियों से जुड़कर आजीविका अर्जित कर रहे हैं। जैव विविधता की पहचान में दक्षता के कारण युवा दुर्लभ जीव और पौधों की पहचान करने में सक्षम हो गए हैं।

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