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पश्चिम एशिया में फिर बढ़ेगी हलचल? ओमान पर इजरायली हमले की आशंका से बढ़ी टेंशन

मध्य पूर्व एक बार फिर बारूद के ढेर पर बैठा है। पहले कतर… और अब ओमान। सितंबर में इजरायल द्वारा कतर पर किया गया हमला दुनिया के लिए झटका था, क्योंकि कतर को अमेरिका का बेहद करीबी देश माना जाता है। उस हमले के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को कतर से माफी मांगनी पड़ी थी—जिसे कई विशेषज्ञों ने एक दुर्लभ कूटनीतिक घटना कहा था।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

अब चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कि इजरायल फिर से वही गलती दोहरा सकता है—बस इस बार निशाने पर है ओमान।

ओमान क्यों आया रडार पर?

अरब दुनिया में ओमान की पहचान एक शांत और मध्यस्थ देश की रही है। वह वर्षों से क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाता रहा है। लेकिन हाल के दिनों में वहां यमन के हूती विद्रोहियों की मौजूदगी बढ़ गई है—और यही इजरायल की चिंता की जड़ है।

हूती गुट को ईरान समर्थित माना जाता है, और इजरायल के लिए ईरान उसका सबसे बड़ा विरोधी है।

क्या इजरायल कर सकता है हमला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस तरह इजरायल ने दोहा में हमास नेताओं को निशाना बनाया था, उसी पैटर्न पर अब ओमान में मौजूद हूती प्रतिनिधियों पर स्ट्राइक की योजना बनाई जा सकती है।

सूत्रों की मानें तो मस्कट और उसके आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ओमानी एजेंसियां किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर सख्त निगरानी रख रही हैं।

ओमान की चेतावनी — हम डरते नहीं!

ओमान के रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि खतरा वास्तविक है, लेकिन देश घबराया नहीं है। सरकार आंतरिक सुरक्षा मजबूत कर रही है और मित्र देशों के साथ मिलकर किसी भी इजरायली हमले का जवाब देने की तैयारी में है।

साथ ही, ओमान ने यह भी साफ किया है कि गलत सूचनाओं के जरिए उसका रुतबा गिराने की कोशिश की जा रही है—पर वह इस कूटनीतिक दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।

मध्य पूर्व में शक्ति की राजनीति अब नई दिशा ले रही है। सवाल सिर्फ इतना है —
क्या इजरायल वास्तव में ओमान पर हमला करेगा, या यह सिर्फ दबाव बनाने की रणनीति है?
आने वाले दिन इस पहेली का जवाब देंगे।

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