“मोर गांव, मोर पानी” अभियान: ग्राम सभाओं को जल संरक्षण और आजीविका संवर्धन का विशेष प्रशिक्षण

“मोर गांव, मोर पानी” महाअभियान के तहत शुक्रवार को जिला पंचायत के नर्मदा सभा कक्ष में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन जिला प्रशासन, Foundation for Ecological Security और नव निर्माण चेतना मंच के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
प्रशिक्षण में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं—भाडी, देवरीखुर्द, तिलोरा, पथर्रा और झिरनापोड़ी—के सदस्य, मेट, सचिव, रोजगार सहायक तथा पंचायत प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रशिक्षक नरेन्द्र यादव ने जल उपलब्धता बढ़ाने के उपायों, जल के माध्यम से आजीविका संवर्धन, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण और सामुदायिक व व्यक्तिगत लाभों की विस्तृत जानकारी दी।
प्रतिभागियों को बताया गया कि मनरेगा मांग-आधारित योजना है, इसलिए ग्राम सभा स्तर पर ऐसे सामुदायिक कार्यों की पहचान जरूरी है जो संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में सहायक हों। प्रशिक्षण में “चोटी से घाटी” सिद्धांत को सरल भाषा में समझाते हुए बताया गया कि भू-जल स्तर बढ़ाने और मिट्टी कटाव रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य चयन आवश्यक है।
इसके साथ ही सीएलएआरटी नामक जीआईएस आधारित टूल का प्रशिक्षण भी दिया गया, जो भू-जल और सतही जल की भौगोलिक विशेषताओं का विश्लेषण कर उपयुक्त रिचार्ज और जल संग्रहण संरचनाओं की पहचान करता है। यह टूल ग्रामवासियों को स्वयं योजना और डिज़ाइन तैयार करने में सक्षम बनाता है तथा मनरेगा की स्वीकृति प्रक्रिया को भी तेज करता है।
कार्यक्रम में नव निर्माण चेतना मंच से चन्द्र प्रताप सिंह और Foundation for Ecological Security से रामेश्वरी पूरी एवं रंजित पूरी की उपस्थिति रही। यह प्रशिक्षण स्थानीय समुदाय को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत प्रबंधन की दिशा में सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आया।




