कांकेरछत्तीसगढ़

कांकेर में 1998 से जीत के लिए तरस रही है कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां राजनीतिक दलों ने शुरू कर दी है. हर सीट पर जीत के लिए रणनीति पार्टियों द्वारा तय की जा रही है. छत्तीसगढ़ का कांकेर जिले का शहर कांकेर राजधानी रायपुर और जगदलपुर के बीच स्थित है. हाल के सालों में यह जिला नक्सली हिंसा से प्रभावित रहा है. पहले कांकेर पुराने बस्तर जिले का ही एक हिस्सा हुआ करता था. लेकिन साल 1998 में कांकेर को एक जिले के तौर पर पहचान मिली. साल 1996 तक ज्यादातर कांग्रेस का ही इस सीट पर कब्जा था, लेकिन साल 1998 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर जीत के लिए तरस रही है.

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक कांकेर सीट अनूसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद साल 1952 से अब तक यहां कुल 16 चुनाव संपन्न हुए. साल 1999 तक यह लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के अंतर्गत आती थी. साल 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद बने छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आने के बाद यहां से तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. यहां मुख्य पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर रही है. वर्तमान में बीजेपी के विक्रम देव उसेंडी यहां से सांसद हैं.

बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने यहां से लगातार चार बार (1998- 2009) तक जीत हासिल की है. इसके बाद पोटाई को 2016 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया. ऐसी मान्यता है कि कांकेर का इतिहास पाषाण युग के समय से शुरू हुआ था. मुख्य रूप से पांच नदियों कांकेर जिले के बीच से बहती हैं- दूध नदी, महानदी, हटकुल नदी, सिंदुर नदी और तुरु नदी.
भारत के पौराणिक संस्कृत महाकाव्यों, रामायण और महाभारत के अनुसार, कभी कांदेर के क्षेत्र में दंडकारण्य नामक एक घना जंगल था. मिथक के अनुसार, कांकेर भी भिक्षुओं और संतों की भूमि थी. कई ऋषि कांक, लोमेश, श्रृंगी, अंगिरा का यहां निवास था. इस क्षेत्र पर बौद्ध धर्म का प्रभाव ईसा पूर्व छठी शताब्दी में शुरू हुआ. कांकेर का प्राचीन इतिहास बताता है कि यह हमेशा एक आजाद राज्य बना रहा. 106 ईस्वी में कांकेर राज्य सप्तवाहन वंश शासन के अधीन था और राजा सतकर्णी थे. इस तथ्य का वर्णन चीनी आगंतुक व्हेनसांग ने भी किया है.
इस लोकसभा सीट पर साल 2014 में पुरुष मतदाताओं की संख्या 722,339 थी. 725,435 महिला वोटर्स थीं. कुल 1,447,774 मतदाता इस लोकसभा क्षेत्र में थे. 2019 के सत्रहवें लोकसभा चुनाव में 1448375 से ज्यादा मतदाता अपने क्षेत्र के सांसद का चुनाव करेंगे. कांकेर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें आती हैं. इनमें से छह अनूसूचित जनजाति और दो सामान्य के लिए आरक्षित हैं. जिनमें गुंडेरदेही, संजारी बालोद, सिहावा(एसटी), डोंडी लोहार(एसटी), अंतागढ़(एसटी), भानु्प्रतापपुर(एसटी), कांकेर(एसटी), केशकाल(एसटी) शामिल है.
साल 2014 के आम चुनाव में कांकेर सीट से भाजपा के विक्रम उसेंडी ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम को हराया था. इससे पहले साल 2009 में भाजपा के सोहन पोटाई ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम, 2004 के चुनाव में सोहन पोटवाई ने कांग्रेस की गंगा को हराया था. छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक​ हुए आम चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशियों को ही जीत मिली है.

कौन हैं सांसद?

इस सीट से वर्तमान सांसद विक्रम उसेंडी हैं. 17 अक्टूबर 1965 को जन्मे विक्रम उसेंडी पेशे से किसान हैं. उन्होंने महज स्कूली शिक्षा हासिल की है. उनकी पत्नी का नाम रामप्यारी उसेंडी है और उनके परिवार में दो बेटे हैं. जनवरी, 2019 तक बीजेपी सांसद दिनेश कश्यप ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 16.88 करोड़ रुपए में से 15.27 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 17.90 करोड़ (ब्याज के साथ) मिले हैं. इनमें से 2.63 करोड़ रुपये अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने जारी किए जा चुके रुपयों में से 85.27 फीसदी खर्च किया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button