धर्म

आज है निर्जला एकादशी, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि…

रायपुर

ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस बार निर्जला एकादशी पर गुरुवार होने से शुभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार यह संयोग छह वर्ष बाद बन रहा है। इस दिन लोग निर्जल व्रत रखकर विधि-विधान से दान करते हैं. एकादशी व्रत विशेष रूप से जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है. यह व्रत जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला माना गया है। वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, पर निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है.

इसे भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या भीम एकादशी का व्रत किया जाता है. यह व्रत बिना पानी के रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.

निर्जला एकदशी का महत्‍व
साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है. इसे पवित्र एकादशी माना जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सालभर की 24 एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है, इस वजह से इस एकादशी का व्रत बहुत महत्व रखता है.

निर्जला एकादशी की पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. सुबह व्रत की शुरुआत पवित्र नदियों में स्नान करके किया जाता है. अगर नदी में स्नान ना कर पाएं तो घर पर ही नहाने के बाद ‘ऊँ नमो वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें. भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें लाल फूलों की माला चढ़ाएं, धूप, दीप, नैवेद्य, फल अर्पित करके उनकी आरती करें. 24 घंटे बिना अन्न-जल व्रत रखें और अगले दिन विष्णु जी की पूजा कर व्रत खोलें. इस व्रत के दौरान ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है.

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 12 जून शाम 06:27
एकादशी तिथि समाप्‍त: 13 जून 04:49

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button