लाइफस्टाइल

अपने पेट का भी रखें ख्याल, नहीं तो बन जाएगा बीमारी का मटका

जीवन स्तर : में बड़ी तेजी से बदलाव आए हैं. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वर्किंग कल्चर ने लोगों की दिनचर्या ही बदल कर रख दी है. कुर्सी पर बैठे हुए लगातार 9-10 घंटे काम करना बीमारियों को दावत दे रहा है. रही सही कसर खान-पान में आए बदलाव ने पूरी कर दी है. पति-पत्नी, दोनों के वर्किंग होने पर घर का खाना बहुत से लोगों के लिए गुजरे जमाने की बात हो गई है. इसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ रहा है. शरीर की बात करें तो हम सबसे ज्यादा अत्याचार अपने पेट पर कर रहे हैं. बिना भूख के ही खाना, लगातार चाय-कॉपी का सेवन या फिर बाजार का खाना, ये सभी बातें हमारे पेट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही हैं. बिना ब्रेक लिए देर रात तक काम करना, नाश्ता न करना, फास्ट फूड खाना, खाने के दौरान सॉफ्ट ड्रिंक पीना और सिगरेट फूंकना एक तरह से उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है. एसिडिटी, गैस, अपच और मोटापा जैसी समस्याएं आम हो गई हैं.
यह वजह है कि मोटापा भारत ही नहीं दुनिया में तेजी एक महामारी बनता जा रहा है. छोटे-छोटे बच्चे मोटापे की चपेट में हैं. कहते हैं कि सारी बीमारियां पेट से ही शुरू होती हैं. इसलिए अगर खुद को फिट रखना है तो पेट का ख्याल जरूर रखें.
कारण और उपचार
बदलती जीवनशैली में पेट की परेशानी आम समस्या हो गई है. नौकरी के चक्कर में रातभर जागना, तला-भुना खाना और शारीरिक श्रम की कमी, ऐसे कई कारण हैं जिस कारण पेट की समस्याएं बढ़ रही हैं. यदि आपका पेट सही है तो आपको अन्य रोग होने का खतरा भी कम रहता है.
एसिडिटी
भोजन को पचाने में पेट में बनने वाला एसिड या अम्ल बहुत कारगर होता है. लेकिन कई बार पेट में यह एसिड आवश्यक मात्रा से ज्यादा बन जाता है. ऐसे में एसिडिटी की समस्या हो जाती है. तला-भुना मसालेदार भोजन का सेवन आमतौर पर एसिडिटी की प्रमुख वजह है. यदि एसिडिटी की समस्या है तो सुबह उठने के तुरंत बाद पानी पिएं. इसके अलावा फलों को अपने भोजन में शामिल करें. नारियल पानी के सेवन से भी एसिडिटी से छुटकारा मिलता है. ठंडी चीजों का सेवन करें.
जी मिचलाना और उल्टी
जी मिचलाना और उल्टी आना शरीर में मौजूद किसी रोग के लक्षण हैं. जी मिचलाने पर शरीर में मौजूद उस बीमारी का पता लगाना और इलाज करना आवश्यक है, जिसकी वजह से उल्टी आना या जी मिचलाने की समस्या हो रही है. लगातार काम करते रहने या फिर यात्रा करने के दौरान अक्सर जी मिचलाने की समस्या आती है. जी मिचलाने या उल्टी के आने पर आपको दो या तीन टाइम हल्का भोजन करना चाहिए. ऐसे में दही का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित होगा.
अल्सर
पेट या छोटी आंत की परत में होने वाले घाव को पेप्टिक अल्सर कहते हैं. तनाव और मसालेदार भोजन भी अल्सर का प्रमुख कारण है. अल्सर होने पर व्यक्ति का वजन भी कम होने लगता है. रेशेदार भोजन करना चाहिए. फल और सब्जियों का सेवन इसमें सबसे ज्यादा लाभकारी होता है. योग या ध्यान से खुद को आराम देने की कोशिश करें.
गैस की समस्या
लंबे समय तक भूखे रहने या मसालेदार भोजन करने से पेट में गैस की समस्या हो जाती है. कई बार ज्यादा शरीर के लिए ज्यादा खतरनाक हो जाती है. यदि आपको भी गैस की शिकायत है तो ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. नीबू और काले नमक का घोल गैस में राहत देता है.
लूज मोशन
खराब भोजन का सेवन करने या बदलते मौसम में कई बार आप लूज मोशन का शिकार हो जाते हैं. लूज मोशन में शरीर कमजोरी हो जाती है. लूज मोशन की स्थिति में हल्का भोजन करें. मूंग दाल की खिचड़ी या दलिया आदि का सेवन करना चाहिए.
कब्ज
पानी का कम सेवन करने या भोजन में फैट की कमी से कब्ज की समस्या हो जाती है. कब्ज की परेशनी में आपको भूख नहीं लगती और शौच खुलकर नहीं होती. कब्ज से राहत के लिए दूध और पपीते का सेवन करना चाहिए. यदि आपके पेट में लंबे समय से कब्ज हैं तो रात को सोते समय गुनगुने पानी से त्रिफला चूर्ण का सेवन भी फायदेमंद रहेगा.
इन सबके अलावा कोई भी दिक्कत होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें. आपने खान-पान तथा रहन-सहन की आदतों में बदलाव कर पेट की समस्याओं से काफी हद तक मुक्ति पाई जा सकती है.
 

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