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नई दिल्ली : सायरस मिस्त्री को भरोसा खत्म होने के कारण हटाया टाटा

नई दिल्ली :  टाटा संस ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष कहा है कि बोर्ड का सायरस मिस्त्री पर भरोसा खत्म हो जाने के कारण उन्हें चेयरमैन के पद से हटाया गया था। टाटा संस के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एनसीएलटी की मुंबई बेंच के समक्ष कहा कि बोर्ड में नामित ट्रस्टी निदेशकों का कोई निजी स्वार्थ नहीं था। सिंघवी ने कहा कि मिस्त्री को सिर्फ इस वजह से हटाया गया क्योंकि बोर्ड का उन पर भरोसा खत्म हो गया था। यह पूरी तरह वाणिज्यिक फैसला था। उन्होंने मिस्त्री के उन आरोपों को भी खारिज किया कि उन्हें हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और बोर्ड की बैठक के एजेंडा में उन्हें हटाने का कोई प्रस्ताव ही नहीं था। सिंघवी ने कहा कि कंपनी एक्ट में इसकी अनुमति है कि अगर बहुमत शेयरधारक और एक स्वतंत्र निदेशक एजेंडा में कोई बिंदु जोडऩा चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं। उनके मामले में स्वतंत्र निदेशक रोनेन सेन ने एजेंडा में बदलाव की स्वीकृति दी थी। कंपनी के चेयरमैन या मैनेजिंग डायरेक्टर को हटाने के लिए टाटा ट्रस्ट के टाटा संस में नामित ट्रस्टी निदेशकों के बहुमत की स्वीकृत जरूरी होती है। टाटा संस के बोर्ड में मिस्त्री समेत नौ सदस्य थे। एक सदस्य ने हटाने के प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। बाकी सात सदस्यों ने हटाने पर सहमति जताई। सिंघवी ने कहा कि पिछले चार में चेयरमैन के रूप में मिस्त्री के खराब प्रदर्शन की वजह से बोर्ड का उन पर भरोसा नहीं रहा।
 

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