लॉकडाउन की वजह से खुदकुशी और दुर्घटनाओं में मौत के मामले 82 फीसदी घटे

रायपुर.(Fourth Eye News) कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन का असर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर के मेडिकोलीगल केसेज पर भी पड़ा है। जनवरी के मुकाबले अब यह मात्र 18 प्रतिशत रह गए हैं। मेडिकोलीगल केस में आत्महत्या से लेकर एक्सीडेंट तक के केस शामिल होते हैं जिनकी विधिक प्रक्रिया के अंतर्गत सुनवाई संभव है। इसे कोविड-19 का पॉजीटिव इफेक्ट माना जा रहा है। वहीं पोस्टमार्टम भी जनवरी में 36 के मुकाबले अप्रैल में सिर्फ सात रह गए हैं।
एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सीलॉजी विभाग के अंतर्गत इस प्रकार के केसेज का कानून के मुताबिक रिकॉर्ड रखा जाता है। इसमें सड़क दुर्घटना में घायल या मृत रोगियों का रिकार्ड, आत्महत्या या हत्या संबंधी मामले और इसी प्रकार के अन्य विधिक प्रक्रिया वाले रोगियों का रिकार्ड शामिल है। जनवरी-फरवरी में यह काफी अधिक थे जो मार्च में लॉक डाउन के बाद कम हुए और अप्रैल में काफी कम रह गए।
विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णदत्त चावली ने बताया कि जनवरी में एम्स में 36 पोस्टमार्टम, फरवरी में 20 और 15 मार्च तक 11 पोस्टमार्टम संबंधी मामले सामने आए थे। 15 से 31 मार्च के मध्य यह सिर्फ पांच रह गए जबकि 23 अप्रैल तक सिर्फ सात पोस्टमार्टम हुए हैं।
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इसके अलावा मेडिकोलीगल केस जनवरी में 208, फरवरी में 194, मार्च में 151 और अप्रैल में अब तक सिर्फ 36 ही सामने आए हैं। प्रो. चावली इसे लॉकडाउन का पॉजीटिव इफेक्ट बताते हैं। निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर का कहना है कि घर में साथ रहने से लोगों में सुसाइडल टेंडेंसी कम हो गई है। साथ ही लॉकडाउन होने की वजह से एक्सीडेंट भी कम हो रहे हैं। ऐसे में मेडिकोलीगल केस की संख्या में भी काफी कमी देखी जा रही है। यह कोविड-19 का सकरात्मक पक्ष भी है।
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