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25 मई 2013: देश का दूसरा सबसे बड़ा नक्सली हमला, जिसमें खत्म हो गई थी छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टॉप लीडरशिप, पर सवाल अब भी कायम हैं

रायपुर, छत्तीसगढ़ में 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी खून से लाल हो गई, यहां भीषण खूनी खेल खेला गया था. इस खूनी खेल को बीते हुए 7 साल हो गए. लेकिन वो भायावह तस्वीर देखने वालों के जहन में आज भी ताजा होगी.

25 मई 2013 छत्तीसगढ़ के इतिहास का काला दिन

25 मई 2013 छत्तीसगढ़ के इतिहास का वह काला दिन है. जब छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पहली पंक्ति के नेताओं को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था. ये शायद पहला बाकया था, जब राजनेताओं को इस तरह से घेरकर मौत के घाट उतारा गया हो. इससे पहले नक्सली ज्यादातर सुरक्षाबलों को ही निशाना बनाते रहे हैं. लिहाजा कोई सोच भी नहीं सकता था कि नक्सली नेताओं की हत्या कर सकते हैं.

इस घटना को 7 साल बीत गए छत्तीसगढ़ सरकार अब इस दिन को ‘झीरम श्रद्धांजलि दिवस’ के रूप में मनाने जा रही है. ये देश के उन सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक है, जिसमें 32 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

जिनमें ज्यादातर छत्तीसगढ़ के शीर्ष कांग्रेसी नेता थे.25 मई 2013 की इस घटना को अब को भूपेश सरकार शहादत दिवस के रूप में मनाने जा रही है. लेकिन आज भी इस विभत्स हत्याकांड के पीछे नक्सलियों की क्या मंशा थी. ये सच्चाई सामने नहीं आ पाई है.

क्या थी पूरी घटना ?


25 मई 2013 को भीषण गर्मी के बीच, जब सूरज अपना रौद्र रूप दिखा रहा था. तपती धरती के चलते लोग घर में दुपक कर बैठे थे. इसी बीच छत्तीसगढ़ के धुर नक्सली इलाके से कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा गुजर रही थी. लेकिन आने वाले खतरे का अंदेशा किसी को नहीं था.

शाम करीब 5 बजे आई परिवर्तन यात्रा पर हमले की खबर

शाम करीब पांच बजे न्यूज़ चैनलों में एक खबर प्रमुखता से चलने लगी थी. जिसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ में एक नक्सली हमला हुआ है ।यूं तो छत्तीसगढ़ में आए दिन नक्सली हमले होते हैं लिहाजा शुरुआत में इस खबर को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीता और इस नक्सली हमले की खबरें सामने आने लगीं तो लोगो की चिंता बढ़ने लगी.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व खत्म

इस हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबरें आ रहीं थी. लेकिन हर कोई यह जानने को बेताब था कि आखिर उस नक्सली हमले में किस किस की मौत हुई है. क्योंकि न्यूज चैनल पर उस तक वक्त बता दिया गया था. कि नक्सलियों ने इस हमले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हत्या कर दी है.

रातभर लोग जानकारी के लिए रहे उतावले

बताया जा रहा था कि इस हमले में नक्सलियों ने तत्कालीन छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल उनके बेटे दिनेश पटेल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर महेंद्र कर्मा शामिल थे इस हमले में मारे गए हैं. 25 मई की उस रात लोग टकटकी लगाए न्यूज देखते और सुनते रहे, लेकिन खबरों के सिवाय किसी तरह के विजुअल जंगल से बाहर नहीं आ पाए थे.

नक्सली हमले की जो बस्तर से सबसे पहली तस्वीर निकल कर आई वह बस्तर के स्थानीय पत्रकार नरेश मिश्र और उनके साथी कैमरा पर्सन मलकीत गिल द्वारा भेजी गईं, जो बाद में नेशनल न्यूज पर भी चलीं.

देर रात तक यह तो साफ हो चुका था कि इस नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे जा चुके हैं लेकिन विद्याचरण शुक्ल की उन तस्वीरों को कौन भूल सकता है. जब वे अपनी गाड़ी में गंभीर रूप से घायल होकर लहू लुहान हालद में पड़े थे.

बस्तर टाइगर कर्मा की लाश पर नक्सलियों ने किया नृत्य

वहीं दूसरी तरफ बस्तर टाइगर को नक्सली अपने साथ जंगल में अंदर तक लेकर चले गए बताया यह जाता है कि नक्सलियों ने उन्हें उनके शरीर पर चाकू से वार किए जिससे उनका शरीर छलनी हो गया. कहा तो यह भी जाता है कि नक्सलियों ने उनकी हत्या करने के बाद उनके शव के चारों तरफ नृत्य किया था ।

26 मई की सुबह मिली लाशें

इधर नंद कुमार पटेल और उनके बेटे को भी नक्सली अंदर लेकर चले गए थे और उन दोनों की भी बड़ी बेरहमी से हत्या कर कर दी गई. इन दोनों की सुबह करीब छह बजे जंगल से लाशें बरामद हुईं. इसके साथ ही नक्सलियों ने कुल 32 लोगों की हत्या की थी ।

नक्सली हमले में बच निकले कवासी लखमा

मौजूदा सरकार में कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी उस परिवर्तन यात्रा का हिस्सा थे. जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अपने दिग्गज नेताओं को खो दिया था. कवासी लखमा के मौके से जिंदा निकल आने को लेकर कई तरह से सवाल उठाए जाते रहे. लेकिन हकीकत क्या है किसी को आज भी नहीं पता.

झीरम हमले की जांच कांग्रेस का चुनावी मुद्दा रहा है

झीरम घाटी हमले को 7 साल हो गए साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया. कहा कि जब वह सत्ता में आएंगे तो इस पूरे मामले पर से पर्दा उठेगा लेकिन अब कांग्रेस की सरकार को करीब डेढ़ साल पूरा हो चुका है. लेकिन झीरम घाटी हमले के पीछे नक्सलियों की असल मंशा क्या थी. उसका जवाब नहीं मिला. साथ ही कई और अनसुलझे सवाल भी हैं जिनके जवाब कांग्रेस सरकार भी अबतक नहीं खोज पाई.

अजीत जोगी भी रहे कटघरे में

जिस परिवर्तन यात्रा ने पूरी छत्तीसगढ़ कांग्रेस में परिवर्तन कर दिया, उस परिवर्तन यात्रा में हुई सभा में अजीत जोगी भी शामिल हुए थे. लेकिन उस दिन वे विमान द्वारा वहां गए और विमान से ही वापस आ गए. जिसके चलते कई तरह के सवाल पूर्व सीएम अजीत जोगी पर भी उठते रहे.

मंत्री बनते ही उमेश पटेल ने कहा था सच्चाई सामने आनी चाहिए

परिवर्तन यात्रा में अपने पिता और बड़े भाई को खोने वाले मौजूदा कांग्रेस सरकार के मंत्री उमेश पटेल ने कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कहा था कि झीरम हमले की निष्पक्ष जांच उनकी प्राथमिक मुद्दा है. और वे चाहते हैं कि जो भी हो, सच्चाई सबसे सामने आनी ही चाहिए.

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