नारायणपुर : माओवाद प्रभावित क्षेत्र के अंदरूनी ईलाके में अब बारहमासी खेती-किसानी होगी, लहरायेंगी फसलें। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति बेहद कठिन है। खेती-किसानी के पर्याप्त संसाधन न होने के बावजूद भी जिला प्रशासन यहां के लोगों के लिए खेती के बेहतर विकल्प तलाशने में जुटा हुआ है। सिंचाई के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों के जरिये भी पानी पहुंचाने के काम में लगा है। यहां खेती की संभावना को देखते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था करने का निर्णय ले लिया है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने आज जिला मुख्यालय के समीप ग्राम देवगांव के टिमनार में कुकुर नदी पर बनाये जाने वाले जलाशय का स्थल निरीक्षण किया। उन्होंने जलाशय निर्माण संबंधी नक्शे का भी अवलोकन किया। इसके बन जाने से लगभग 1920 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी। खरीफ के मौसम में 1320 हेक्टेयर में और रबी मौसम में लगभग 600 हेक्टेयर में खेतों के लिए पानी उपलब्ध होगा। इसके साथ ही पेयजल की समस्या भी दूर होगी।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वनविभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद जल्द से जल्द जलाशय का निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा। जलाशय निर्माण हेतु 30 करोड़ 29 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि वर्तमान में कुकुर नदी पर तीन एनीकट और एक डायवर्सन है। पहला एनीकट गढ़बेंगाल में, दूसरा ब्रेहबेड़ा और तीसरा कुरूषनार गांव में है। अभी आसपास के किसान सौर सुजला पंप और अपने संसाधन से खेती-किसानी के लिए पानी का उपयोग कर रहे थे। इसके बनने पर क्षेत्र के लगभग 53 किसान आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। जिन्हें नियमानुसार मुआवजा मिलेगा। इन प्रभावित भू स्वामियों में देवगांव के 8 किसान, ब्रेहबेड़ा के 13 और टिमनार के 34 किसान शामिल है। इस अवसर पर उनके साथ कार्यपालन अभियंता जलसंसाधन पीसी साहू, अनुविभागीय, दंडाधिकारी, तहसीलदार सहित सिंचाई विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थ।
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