
रायपुर। राजनांदगांव जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल डोंगरगढ़ में मां बमलेश्वरी पहाड़ी से एक विशाल चट्टान खिसककर नीचे आ गिरी। यह घटना 7 जुलाई को हुई। चट्टान के गिरने से कई पेड़ जड़ से उखड़ गए और रणचंडी मंदिर की ओर जाने वाली लगभग 500 सीढ़ियों का ऊपरी हिस्सा टूट गया।
सुबह का वक्त था। स्थानीय महिला मान बाई नेताम ने बताया, “अचानक बादलों की तेज गड़गड़ाहट जैसी आवाज सुनाई दी। मैंने बचपन से यहां ऐसी आवाज कभी नहीं सुनी।”
गनीमत रही कि यह विशाल चट्टान दूसरी चट्टानों पर अटक गई। अगर वह नीचे तक लुढ़कती, तो सीढ़ियों के नीचे बसे घरों और रास्तों पर बड़ा हादसा हो सकता था।
ब्लास्टिंग और कटाई पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोग इस घटना के लिए पहाड़ी पर की गई बारूदी ब्लास्टिंग को जिम्मेदार मानते हैं। उनका कहना है कि कुछ समय पहले एक बड़ी चट्टान को हटाने के लिए धमाके किए गए थे, जिससे पहाड़ी की संरचना कमजोर हो गई। इसके अलावा अवैज्ञानिक निर्माण, पत्थरों की कटाई और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी खतरा बढ़ाया है।
प्रशासन ने रास्ता कराया साफ
वन परिक्षेत्र अधिकारी भूपेंद्र उइके ने बताया कि दर्शन मार्ग से गिरी चट्टान और पेड़ों को हटा दिया गया है। हालांकि बड़ी चट्टान को हटाना संभव नहीं है। “कोई जनहानि नहीं हुई है। घटना की जांच की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए कदम उठाए जाएंगे,” उन्होंने कहा।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल
मां बमलेश्वरी पहाड़ी हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसे में इस घटना ने उनकी सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। फिलहाल मंदिर ट्रस्ट समिति के चुनाव चल रहे हैं। इस वजह से इतनी बड़ी घटना के बावजूद ट्रस्ट की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अब जरूरी है ठोस कदम
यह हादसा चेतावनी है कि आस्था स्थल का विकास और संरक्षण जिम्मेदारी से किया जाए। प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट और पर्यावरण मंत्रालय को मिलकर ठोस योजना बनानी होगी, ताकि पहाड़ी का प्राकृतिक संतुलन न बिगड़े और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था भी सुरक्षित रहे।