
रायपुर, 08 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल, जो अपनी जनजातीय संस्कृति, घने जंगलों और लोक कलाओं के लिए प्रसिद्ध है, अब नक्सलवाद से उबरकर विकास की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। दशकों से माओवाद के प्रभाव में रहे इस क्षेत्र में अब सरकार की रणनीति और सुरक्षा बलों के समर्पण से बदलाव की बयार चल रही है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया है कि राज्य में नक्सलवाद अब अंतिम दौर में है। सुरक्षाबलों की कार्रवाई और रणनीतिक विकास योजनाओं के साथ सरकार इस चुनौती को निर्णायक मोड़ पर पहुंचा चुकी है। बस्तर ओलंपिक और पंडुम जैसे आयोजनों में जनसहभागिता यह साबित करती है कि शांति का माहौल लौट रहा है।
21 मई 2025 को अबूझमाड़ जंगलों में बसव राजू जैसे शीर्ष नक्सली नेताओं के मारे जाने से माओवादी संगठन को गहरी चोट पहुंची है। इसी तरह 5 जून को 1 करोड़ के इनामी नक्सली सुधाकर भी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया।
“नियद नेल्ला नार” जैसी योजनाएं माओवादी क्षेत्रों में बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं। सुरक्षा कैंपों के आसपास के गांवों को 59 सरकारी योजनाएं और 28 सामुदायिक सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी और बिजली जैसी आधारभूत ज़रूरतें अब तेजी से पूरी हो रही हैं।
बीते 18 महीनों में 438 नक्सली मारे गए, 1515 गिरफ्तार हुए और 1476 ने आत्मसमर्पण किया है। यह बताता है कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद के खात्मे को लेकर गंभीर है।
सुकमा का पूवर्ती गांव, जो कभी हिड़मा जैसे कुख्यात नक्सलियों का गढ़ था, अब सुरक्षा बलों की मौजूदगी और सरकारी योजनाओं की पहुँच से धीरे-धीरे विकास की राह पर लौट रहा है।
बस्तर की धरती से अब फिर से मांदर और ढोल की थाप सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अगुवाई में छत्तीसगढ़ सरकार संकल्पबद्ध है कि मार्च 2026 तक बस्तर को पूरी तरह नक्सलमुक्त बना दिया जाएगा।