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नईदिल्ली : देश में खुलेंगे 2000 जन औषधि केन्द्र

नई दिल्ली  : सरकार ने ग्रामीण स्तर पर लोगों को सस्ते दर पर गुणवत्तापूर्ण जीवन रक्षक जेनरिक दवाइयां और मेडिकल उपकरण उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2019-20 तक 2,000 जन औषधि केन्द्र खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया है। दवाइयों की बढ़ती कीमत के मद्देनजर वर्ष 2008-09 में शुरू की गई इस योजना के तहत 27 फरवरी तक देश के 33 राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों में 3195 जन औषधि केन्द्र निजी और गैर सरकारी संगठनों ने स्थापित किए थे। इसके तहत सबसे अधिक 475 केन्द्र उत्तर प्रदेश में खोले गए हैं। केरल में 317, गुजरात में 257, तमिलनाडु में 245, कर्नाटक में 234, महाराष्ट्र में 202, छत्तीसगढ़ में 194, आंध्र प्रदेश में 127, दिल्ली में 41, पंजाब में 68, हरियाणा में 67, उत्तराखंड में 93, मध्य प्रदेश में 86, राजस्थान में 92, ओडिशा में 66, बिहार में 85 और झारखंड में 46 केन्द्र खोले गये हैं।
सरकार की योजना ब्लॉक स्तर पर जन औषधि केन्द्र खोलने की है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने हाल दी गयी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना को लागू करने वाली एजेंसी ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) फरवरी तक केन्द्रों को 650 तरह की दवाएं और उपकरण उपलब्ध करा रही थी । बीपीपीआई वर्तमान में संक्रमण , तेजी से फैल रहे मधुमेह , हृदय रोगों , कैंसर तथा कई अन्य बीमारियों की रोकथाम से संबंधित जेनरिक दवाएं उपलब्ध करा रहा है। सरकार की योजना 700 से अधिक दवाएं 154 उपकरण सस्ते उपकरण उपलब्ध कराने की है। बीपीपीआई ने जन औषधि केन्द्रों को दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति के लिए गुरुग्राम में सेंट्रल वेयर हाउस की स्थापना की है। इसके साथ ही आठ कैरेयिंग एंड फॉरवार्डिंग एजेंट (एफ एंड सी) और आठ वितरकों की नियुक्ति की है। समिति ने कहा है कि आम लोगों तक दवाओं एवं उपकरणों की समय पर पहुंच के लिए वर्तमान वितरण प्रणाली पर्याप्त नहीं है। समिति ने औषधि विभाग को जरूरत के हिसाब से क्षेत्रीय स्तर पर वेयर हाउसों तथा वितरकों की नियुक्ति की संभावनाओं को तलाशने की सिफारिश की है। समिति ने तकनीक आधारित रीयल आईएम ट्रैकिंग सिस्टम बनाने की भी सिफारिश की है ताकि गड़बडिय़ों को संभावना नहीं रहे ।

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बीपीपीआई को वर्ष 2017..18 के दौरान पुनरीक्षित बजट 74.62 करोड़ रुपये का था जिसमें से उसे 47.64 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन इस योजना के तहत 29.63 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया गया। इस योजना के शुरु होने के बाद से अब तक बीपीपीआई को कुल 137.88 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं जिनमें से वह 119.88 करोड़ रुपये का वास्तव में उपयोग कर पाया है।

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