बस्तर छत्तीसगढ़ का नया निवेशिक हब, 52,000 करोड़ की योजनाओं से बढ़े रोजगार, बदली तस्वीर
बस्तर में हेल्थकेयर सेक्टर में तेज़ी से निवेश हो रहा है।

बस्तर छत्तीसगढ़ का वह क्षेत्र है, जो कभी उपेक्षा और पिछड़ेपन की छवि के लिए जाना जाता था, लेकिन आज यह विकास, निवेश और रोजगार के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत बस्तर में सरकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश ने बदलाव की नई इबारत लिख दी है। अब यहां उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और पर्यटन हर क्षेत्र में समावेशी विकास की लहर दिखती है। बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम के जरिए करीब 52,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें 43,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ एनएमडीसी की ओर से हैं। इन योजनाओं के जरिए 2,100 से अधिक युवाओं को सीधा रोज़गार मिलने वाला है।
रेल–सड़क परियोजनाओं की बात करें तो रावघाट–जगदलपुर नई रेल लाइन और केके रेल लाइन के दोहरीकरण जैसे प्रोजेक्ट्स के लिए 5,200 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। साथ ही 2,300 करोड़ रुपये की सड़क योजनाएं बस्तर को प्रदेश के बाकी हिस्सों से बेहतर जोड़ेंगी। इससे न केवल व्यापार, पर्यटन और उद्योग को रफ्तार मिलेगी बल्कि आवागमन में सुगमता, सुरक्षा और सेवाओं की पहुंच जैसे बड़े फायदे मिलेंगे। इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के पूरा होने से नक्सलवाद के खात्मे की कोशिशों को भी मजबूती मिलेगी।

बस्तर में हेल्थकेयर सेक्टर में तेज़ी से निवेश हो रहा है। जगदलपुर में 350 बेड वाला मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है, जिसमें 550 करोड़ रुपये के निवेश से 200 लोगों को रोज़गार मिलेगा। इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग, राइस मिल, डेयरी, वेलनेस-हॉस्पिटैलिटी, वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज, फर्नीचर, निर्माण सामग्री, कृषि मशीनरी, और टेक्नोलॉजी सेक्टर में कई प्राइवेट और MSME प्रोजेक्ट्स आरंभ हुए हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और युवाओं के लिए रोजगार का नया वातावरण तैयार हुआ है।
राज्य सरकार औद्योगिक नीति के तहत फार्मा, एग्रो प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स, आईटी, डिजिटल टेक्नोलॉजी, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस-डिफेंस जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष प्रोत्साहन दे रही है। साथ ही बस्तर के 88% ब्लॉक्स ग्रुप-3 श्रेणी में आते हैं, जिससे निवेशकों को सब्सिडी समेत कई लाभ मिल रहे हैं।
पर्यटन, वेलनेस और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी नया निवेश आ रहा है, जिससे बस्तर की संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और जनजातीय धरोहर वैश्विक स्तर पर पहचान पा रही है। पीएमएफएमई, पीएमईजीपी जैसी योजनाओं से स्थानीय महिलाओं, युवाओं, एससी-एसटी और आत्मसमर्पित नक्सलियों को भी अतिरिक्त रोजगार व प्रोत्साहन मिल रहा है।

कुल मिलाकर, दूर-दराज और कभी नक्सल प्रभावित बस्तर आज निवेश, संपर्क, शिक्षा और चिकित्सा के हर पैमाने पर छत्तीसगढ़ के भविष्य का चमकता सितारा बन रहा है। सरकार का लक्ष्य 2026 तक नक्सल मुक्त और परिपूर्ण विकसित बस्तर का है—जिससे यह क्षेत्र समावेशी विकास और सामाजिक बदलाव का आदर्श बनेगा।