नईदिल्ली : चाइल्ड पॉर्न रोकने के लिए फोटो डीएनए तकनीक का इस्तेमाल करेगी सरकार
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने चाइल्ड पॉर्न और रेप विडियो को इंटरनेट पर आने से रोकने के लिए अमेरिका की मदद मांगी है। अडिशनल सलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कोर्ट को इस बारे में विस्तार से बताया कि सरकार चाइल्ड पॉर्न को रोकने के लिए क्या कर रही है। सिंह ने गृह मंत्रालय के ऐक्शन प्लान को विस्तार से सुप्रीम कोर्ट को बताया।चाइल्ड पॉर्न और रेप विडियो को इंटरनेट पर आने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय फोटो डीएनए हैश टूल तकनीक मुहैया कराएगा। इस तकनीक से एक जैसी तस्वीरों, एक जैसे विडियो और ऑडियो क्लिप्स को पहचाना जा सकता है और इसका मुख्य तौर पर चाइल्ड पॉर्न रोकने में इस्तेमाल किया जाता है। सरकार ने गृह मंत्रालय और अमेरिकी एजेंसी नैशनल सेंटर फॉर मिसिंग ऐंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) के बीच सुरक्षित वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) कनेक्शन के लिए वॉशिंगटन की मदद मांगी है।अडिशनल सलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गृह मंत्रालय एक पोर्टल तैयार कर रहा है जो देशभर के सभी पुलिस स्टेशनों को एक दूसरे से जोड़ेगा और उस पर कोई अपनी पहचान उजागर किए बिना ही शिकायत दर्ज करा सकेगा। सिंह ने जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच को बताया कि पोर्टल का 2 राज्यों में परीक्षण किया गया था जो सफल रहा था।