रायपुर.
आखिरकार भूपेश बघेल सरकार ने वह फैसला ले ही लिया, जिसके सरकार गठन के बाद से कयास लगाए जा रहे थे. बात हो रही है मीसा बंदियों के सम्मान निधि की, जिसके भुगतान पर भूपेश बघेल सरकार ने फरवरी माह से रोक लगा दी है.
सम्मान राशि रोकने के लिए सरकार ने भुगतान प्रक्रिया के पुनर्निधारण का पैतरा फेका है. सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने 29 जनवरी को समस्त आयुक्त और कलेक्टर को निर्देश जारी कर लोकतंत्र सेनानियों (मीसा बंदियों) का भौतिक सत्यापन करने व उन्हें दी जाने वाली सम्मान निधि के भुगतान प्रक्रिया का पुनर्निधारण करने कहा है. जारी आदेश में जिला कोषालय अधिकारियों से कहा गया है कि वे बैंको को ताकीद करें कि फरवरी से उन्हें इसका भुगतान न किया जाए.
शांडिल्य ने लिखा है कि मीसा बंदियों को वित्तीय वर्ष में बजट प्रावधान के अनुसार उन्हें भुगतान की जाने वाली सम्मान निधि की राशि का समुचित नियमन करने एवं भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया को और अधिक सटीक, पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है. साथ ही प्रदेश में लोकतंत्र सेनानियों का भौतिक सत्यापन कराया जाना आवश्यक है. इस हेतु पृथक से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे.
उपयुक्त के परिप्रेक्ष्य में निर्देश अनुसार अनुरोध है कि आगामी माह फरवरी 2019 से लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि राशि का वितरण उपयुक्त अनुसार कार्यवाही होने के पश्चात किया जाए. इस हेतु जिला कोषालय अधिकारी संबंधित बैंकों की शाखाओं को निर्देशित करें.
मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ ने उठाया कदम
छ्तीसगढ़ सरकार के निर्णय लेने से पहले मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार ने शिवराज सिंह सरकार के मीसा बंदियों को प्रतिमाह दी जाने वाली राशि पर भी रोक लगा दी है. अब छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसा बंदियों को राशि नहीं देने का निर्णय लिया है. गौरतलब है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार ने आपातकाल में जेल गए मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए उन्हें सम्मान निधि देना शुरू हुआ था. वर्तमान में यह राशि 15 हजार रुपए है.