सीमा के गांव बनेंगे सुरक्षा के मजबूत प्रहरी, विकास का नया मॉडल पेश करेगा ‘वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम’: अमित शाह

देश की सीमाओं के पास बसे गांव अब केवल आखिरी छोर नहीं, बल्कि राष्ट्र की पहली पंक्ति होंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दिल्ली में ‘वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में स्पष्ट संदेश दिया — सीमांत गांवों का विकास अब सिर्फ योजना नहीं, सरकार की प्राथमिक सोच का हिस्सा होना चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि इन गांवों को दूरसंचार, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं से युक्त करना जरूरी है। लेकिन इससे भी ज़रूरी यह है कि प्रशासन इस कार्यक्रम को सिर्फ़ सरकारी दायित्व न मानकर, अपने काम की ‘स्पिरिट’ बनाए।
“वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम को अब कार्यक्रम की सीमाओं से निकाल कर एक राष्ट्रवादी विकास दृष्टिकोण में बदलने की जरूरत है। यह सीमांत इलाकों के भविष्य का सवाल है,” – अमित शाह
नई दिशा की ओर वीवीपी-2
गृह मंत्री ने कहा कि वीवीपी के पहले चरण में बुनियादी काम हुआ, लेकिन अब वीवीपी-2 में प्रशासन को दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।
गांवों में मनरेगा के तहत तालाब, घने वृक्षारोपण, स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर और अवैध अतिक्रमण हटाने जैसे कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल इस दिशा में एक मिसाल है, जहां भू-सीमा और समुद्री इलाकों में बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाया गया है।
गांव होंगे सुरक्षा के सिपाही
अमित शाह ने वीवीपी के तीन प्रमुख उद्देश्यों को रेखांकित किया:
पलायन रोकना
हर नागरिक तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना
गांवों को सीमा सुरक्षा का अहम हिस्सा बनाना
“प्रधानमंत्री मोदी जी ने जब अंतिम गांव को पहला गांव कहा, तब देश की सोच बदली। अब समय है कि सीमांत गांव केवल बसे नहीं रहें, बल्कि देश की सीमाओं के प्रहरी बनें।”
रोजगार और संस्कृति, दोनों को मिलेगा बल
गृह मंत्री ने सुझाव दिया कि होमस्टे, पर्यटन, सहकारी संस्थाएं, और स्थानीय उत्पादों की खरीद जैसे प्रयास इन गांवों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
आईटीबीपी द्वारा अरुणाचल के वाइब्रेंट गांवों से रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीद को उन्होंने मॉडल प्रयोग बताया, जिसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है।
उन्होंने कहा,
“अगर सेना और CAPF गांवों से दूध, अंडे, सब्जियां खरीदें और इन गांवों में डेयरी कोऑपरेटिव बनाए जाएं तो रोजगार अपने आप पैदा होगा और पलायन रुक जाएगा।”
डेमोग्राफिक बदलाव: चेतावनी और कार्रवाई
शाह ने सीमांत जिलों के कलेक्टरों को अवैध धार्मिक अतिक्रमण और डेमोग्राफिक बदलाव पर सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह संयोग नहीं, बल्कि एक डिजाइन के तहत हो रहा है, जिससे देश की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ता है।
सच्चे अर्थों में ‘वाइब्रेंट’ होंगे गांव
कार्यक्रम को खत्म करते हुए शाह ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि एक रणनीतिक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें गांवों को न सिर्फ विकसित करना है, बल्कि उन्हें देश की सुरक्षा का सक्रिय भागीदार भी बनाना है।


