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रायपुर में की दुर्लभ सर्जरी, 14 वर्षीय बालक के गले में धंसे 17.5 सेमी लंबे लोहे के औजार को सफलतापूर्वक निकाला

रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में डॉ. हंसा बंजारा और उनकी टीम ने अत्यंत जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। 14 वर्षीय बच्चे के चेहरे और गले में घुसा लोहे का औजार बिना किसी नस को क्षति पहुंचाए निकाला गया।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में एक दुर्लभ और अत्यंत जटिल सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया। यह ऑपरेशन 14 वर्षीय बालक पर किया गया, जो कोरबा जिले के मधुनारा गांव का निवासी है। उसके चेहरे में एक लोहे का तीरनुमा औजार दुर्घटनावश घुस गया था।

इस औजार की लंबाई लगभग 17.5 सेमी थी, जिसमें से करीब 7 सेमी हिस्सा बालक के चेहरे और गले के भीतर फंसा हुआ था। यह औजार मुख्य लार ग्रंथि (Parotid Gland) से होते हुए गले की रक्त वाहिनियों के बीच से पैरास्पाइनल स्पेस (Spinal cord के पास) तक जा पहुंचा था।

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इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी का नेतृत्व ENT विभाग की प्रमुख डॉक्टर हंसा बंजारा ने किया। उनके साथ डॉक्टर दुर्गेश गजेन्द्र, डॉक्टर अंकुर कुमार चन्द्राकर, डॉक्टर प्रियंका साहू (पीजी छात्र), और एनेस्थीसिया विभाग से डॉक्टर प्रतिभा जैन शाह, डॉक्टर अमृता और डॉक्टर नीरज (पीजी छात्र) भी शामिल थे।

डॉ. हंसा बंजारा के अनुसार –

“यह सर्जरी बहुत ही संवेदनशील थी। औजार को निकालते समय हमें लार ग्रंथि को हटाकर उसके बीच से गुजर रही चेहरे की नस (Facial Nerve) को बचाना पड़ा। थोड़ी भी चूक मरीज के चेहरे को लकवाग्रस्त कर सकती थी या खून बहने से जान भी जा सकती थी।”

टीम ने अत्यंत सावधानीपूर्वक औजार को spinal cord के पास से बिना किसी बड़ी नस या तंत्रिका को नुकसान पहुंचाए बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की।

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परिजनों ने जताया आभार
सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और अस्पताल से छुट्टी मिलने की प्रक्रिया जारी है। बालक के परिजनों ने डॉक्टरों की टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि —

“इस टीम ने जिस तरह से संयम और कुशलता से ऑपरेशन किया, उससे हमें इस सरकारी अस्पताल पर और भी अधिक भरोसा हो गया है।”

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