छत्तीसगढ़ सरकार जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिए निरंतर प्रयासरत : डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम

रायपुर। मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिए निरंतर कार्य कर रही है, जिसके परिणाम स्वरुप आदिवासी समाज के लोग आज शिक्षा, रोजगार सहित विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। उनमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता भी आ रही है, लेकिन अभी भी उनके लिए काफी कुछ किया जाना शेष है। डॉ.टेकाम ने आदिवासियों के हित में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यो का उल्लेख करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योगों के लिए आदिवासियों से ली गई जमीन उन्हें वापस की गई।
वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत 4 लाख 45 हजार से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र, 45 हजार 432 सामुदायिक वन अधिकार पत्र तथा 3113 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक की दर 2500 रूपए से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। अकेले तेंदूपत्ता संग्रहण से वनवासियों को 700 करोड़ रूपए तथा लघु वनोपजों के संग्रहण से 200 करोड़ रूपए की आमदनी हुई है।
आदिमजाति कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पेसा अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्र की 5632 पंचायतें तथा 9977 ग्राम पेसा अधिनियम के अंतर्गत आते हैं। आदिवासी विकास की योजनाओं के संबंध में उन्होंने बताया कि प्रदेश में 71 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, नक्सल प्रभावित जिलों सहित अनुसूचित क्षेत्रों में प्रयास आवासीय विद्यालय, नक्सल प्रभावित बच्चों के लिए आस्था गुरूकुल दंतेवाड़ा का संचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ 3278 छात्रावासों का संचालन भी किया जा रहा है। अनुसूचित क्षेत्रों के विकास में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बस्तर और सरगुजा आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरण तथा मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। बस्तर में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए देवगुड़ी और घोटुल का निर्माण किया जा रहा है।
आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों को उनकी भाषा में प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है।
राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्मेलन को सम्बोधित किया। छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा और एचएनएलयू रायपुर के कुलपति प्रोफेसर डॉ. वी.सी. विवेकानंदन ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट किए। स्वागत भाषण प्रोफेसर डॉ.योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने दिया। एचएनएलयू के रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. उदय शंकर ने आभार प्रदर्शन किया।