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अमृतधारा जलप्रपात: बारिश में छलांग लगाती हसदेव की धारा, पर टूटी रेलिंग बनी खतरे की घंटी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के महेंद्रगढ़ जिले का अमृतधारा जलप्रपात इस समय पूरे शबाब पर है। बरसात ने हसदेव नदी में नई जान फूंक दी है, और उसकी जलधाराएं 90–100 फीट ऊंची चट्टानों से गिरती हुई दिलकश नज़ारा पेश करती हैं। लाई गांव के भीतर, राष्ट्रीय राजमार्ग 43 से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर बसे इस स्थल पर इन दिनों प्रकृति प्रेमियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

मानसून में यहां की फिजा कुछ और ही होती है। पानी का वेग बढ़ जाता है, और गिरती धाराएं एक गूंजती हुई सफेद चादर-सी लगती हैं। जलप्रपात के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर श्रद्धा का केंद्र है, जहां लोग पूजा-अर्चना के लिए नियमित आते हैं।

लेकिन इस सौंदर्य के बीच एक बड़ा सवाल भी खड़ा है—सुरक्षा का। जलप्रपात के किनारे लगी रेलिंग जगह-जगह टूटी हुई है। कुछ सालों में कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, पर उसके बाद भी सुरक्षा इंतजामों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।

अमृतधारा जैसे खूबसूरत और धार्मिक महत्व वाले पर्यटन स्थल को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना जरूरी है। पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ रही है। प्रशासन को चाहिए कि टूटी रेलिंग की मरम्मत कराए, चेतावनी बोर्ड लगाए और गार्ड की तैनाती करे, ताकि यह प्राकृतिक धरोहर हर किसी के लिए सुरक्षित बनी रहे।

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