छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को मिला ‘टिफिन का साथ’, रायगढ़ बना छत्तीसगढ़ का पहला नवाचारकर्ता जिला

रायपुर। दूर-दराज के गांवों से आकर छात्रावासों में रहकर पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक राहत भरी खबर है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले ने एक नई शुरुआत करते हुए प्री-मैट्रिक छात्रावासों में रहने वाले कक्षा 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों को स्कूल समय में टिफिन उपलब्ध कराने की व्यवस्था शुरू की है। अब बच्चे खाली पेट नहीं, बल्कि टिफिन के साथ स्कूल जाएंगे – और यही पहल उन्हें पढ़ाई में और बेहतर फोकस करने में मदद कर रही है।
रायगढ़ जिला प्रदेश का पहला ऐसा जिला बन गया है, जहां यह सुविधा लागू की गई है। जिले के 63 बालक और 26 कन्या छात्रावासों में यह टिफिन योजना शुरू हो चुकी है, जिससे 2100 से अधिक छात्र-छात्राएं लाभान्वित हो रहे हैं।
सुबह से शाम तक बिना भोजन के नहीं रहेंगे बच्चे
छात्रावासों में रहने वाले ये बच्चे आमतौर पर सुबह जल्दी नाश्ता या भोजन कर स्कूल जाते हैं। लेकिन स्कूल का समय होता है 11 बजे से शाम 4 बजे तक। यानी पूरे छह घंटे तक खाली पेट पढ़ाई करना उनकी मजबूरी थी। लेकिन अब नहीं। अब छात्रावास से ही उनके लिए टिफिन तैयार कर स्कूल भेजा जाता है – जिसमें उनकी पसंद का और पोषण से भरपूर खाना होता है: दाल-चावल, सब्जी, रोटी से लेकर हलवा, पोहा, उपमा तक।
बच्चों ने सराहा, कहा – अब पढ़ाई में लगता है पूरा मन
प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास, रायगढ़ में रहने वाले कक्षा 10वीं के छात्र तुषार सिदार बताते हैं, “पहले स्कूल में दोपहर तक बहुत भूख लगती थी, जिससे पढ़ाई पर ध्यान नहीं लग पाता था। अब टिफिन मिल जाता है, जिससे दिनभर एनर्जी बनी रहती है और पढ़ाई में फोकस बेहतर हो गया है।”
वहीं कक्षा 9वीं के छात्र बलराम सिदार कहते हैं,
“आठवीं तक तो स्कूल में मिड-डे मील मिलता था, लेकिन नवीं-दसवीं में वो बंद हो जाता है। अब हॉस्टल से ही टिफिन मिलता है, जिसमें मनपसंद खाना होता है – और दिनभर की पढ़ाई आसान लगती है।”
लता सारथी, जो प्री-मैट्रिक कन्या छात्रावास में रहती हैं, कहती हैं,
“जो बच्चे घर से आते हैं वे टिफिन लाते थे, लेकिन हम छात्रावास में रहने वाले बच्चों के पास कोई विकल्प नहीं था। अब दोपहर में भोजन मिल जाता है तो मन भी शांत रहता है और ध्यान भी कक्षा में ज्यादा लगता है।”
सिर्फ भोजन नहीं, संपूर्ण विकास की ओर कदम
यह पूरी व्यवस्था नि:शुल्क है और इसका संचालन छात्रावास स्तर पर किया जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि यह पहल बच्चों को सिर्फ पोषण ही नहीं देगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास में भी सहायक होगी। पहले चरण में यह व्यवस्था पुसौर और कोड़ासिया के छात्रावासों में शुरू की गई है और जल्द ही पूरे जिले में लागू की जाएगी।
एक कदम, जो बदलेगा भविष्य
रायगढ़ जिले की यह पहल न सिर्फ प्रशासनिक दूरदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि यदि इच्छा हो, तो छोटे बदलाव भी बच्चों के जीवन में बड़ा फर्क ला सकते हैं।
भोजन अब सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं, बल्कि शिक्षा की राह में एक मजबूत साथी बन चुका है – टिफिन के साथ भविष्य की ओर बढ़ते कदम।