रायपुर में तीजा-पोरा पर्व का रंगीन आयोजन, माताओं-बहनों ने मनाया उत्साह से त्योहार

रायपुर। राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आज छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार तीजा-पोरा की धूम रही। इस खास मौके पर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में महिलाएँ एकत्रित हुईं, जिन्होंने पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया।
प्रदेश के मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों ने माताओं-बहनों का हार्दिक स्वागत करते हुए उन्हें पारंपरिक साड़ी, श्रृंगार सामग्री और छत्तीसगढ़ी कलेवा भेंट की। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने अपनी शुभकामनाएँ देते हुए तीजा को नारी शक्ति का प्रतीक बताया और कहा कि यह पर्व परिवार की खुशहाली और सौहार्द का संदेश देता है।
तीजा के दौरान निर्जला व्रत रखकर महिलाएँ अपने परिवार की समृद्धि की कामना करती हैं, जो इस त्योहार की खास पहचान है। साव ने बताया कि सरकार की महतारी वंदन योजना के तहत लाखों माताएँ आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं और घर-परिवार को नई ऊँचाइयों तक ले जा रही हैं।
कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने भी तीजा पर्व को महिलाओं की एकजुटता और खुशी का पर्व बताया। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने इस पर्व की सामाजिक और प्राकृतिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सावन के हरे-भरे खेत और मेहनती किसान इस त्योहार की खुशियों को और भी बढ़ा देते हैं।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध पंडवानी गायिका उषा बारले और लोकगायिका कुमारी आरु साहू को स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया। विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और पारंपरिक छत्तीसगढ़ी सजावट ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
महिलाओं ने दिखाया खेलों में भी उत्साह
तीजा-पोरा के अवसर पर कुर्सी दौड़, जलेबी दौड़, नींबू दौड़ और रस्साकशी जैसी खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इन खेलों ने न केवल उत्साह बढ़ाया, बल्कि त्योहार के सामाजिक रंग को भी जीवंत किया। विजेताओं को पुरस्कृत किया गया और सभी प्रतिभागियों की प्रशंसा की गई।
त्योहार में रचा गया सांस्कृतिक संगम
ऑडिटोरियम में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक आभूषणों और कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगी, जिसमें ‘तोड़ा’, ‘पैरी पैजन’, ‘झांझ’ जैसे लोक कलाकृतियों ने सबका मन मोह लिया। महिलाओं ने मेंहदी लगवाई, रंग-बिरंगी चूड़ियाँ पहनीं और सावन के झूले का आनंद उठाया, जिससे त्योहार की मौज-मस्ती चारों ओर फैल गई।
इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, नारी शक्ति और पारिवारिक मेलजोल को एक साथ जोड़ते हुए एक यादगार तीजा-पोरा पर्व प्रस्तुत किया।