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औरंगाबाद हादसा: बेरोजगारी के चलते घर जाना चाहते थे, नहीं पता था जान से भी हाथ धो बैठेंगे

महाराष्ट्र औरंगाबाद में एक मालगाड़ी की चपेट में आने से 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार को मौत हो गई, इस दर्दनाक हादसे पर, रेलवे की ओर से कहा गया है कि, हादसे से पहले मालगाड़ी चला रहे लोको पायलट हॉर्न बजाकर मजदूरों को ट्रैक से हटाने की कोशिश की. इसके साथ ही लोगों को पटरी पर देख उसने गाड़ी को रोकने की भी कोशिश की थी.

मंत्रालय का कहना है कि मालगाड़ियों की औसत गति सामान्य रूप से 24 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है, वह इस लॉकडाउन में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है । यात्री ट्रेनों के निलंबन ने रेल नेटवर्क को कम कर दिया है । इस पूरे मामले में कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की निगरानी में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं ।

साथी मजदूरों ने दी थी आवाज, लेकिन मृतक सुन नहीं सके

इस दुर्घटना में जीवित बचे श्रमिकों का कहना है कि उन्होने जब देखा कि सामने से मालगाड़ी आ रही है, औऱ उनके साथी पटरियों पर लेटे हुए हैं, तब उन्होने आवाज दी थी, लेकिन थकान की वजह से शायद गहरी नींद में होने की वजह से वे सुन नहीं सके.

औरंगाबाद में हुए इस दुखद हादसे के बाद अधिकारियों ने बताया कि 20 मजदूरों का एक समूह महाराष्ट्र के जालना से पैदल मध्यप्रदेश में अपने गांव जा रहा था। ये सभी जालना की एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होने के बाद लौट रहे थे।
पाटिल ने कहा, ‘मैंने जीवित बचे लोगों से बातचीत की है। वे लोग जालना से पैदल चले थे और भुसावल जा रहे थे। भुसावल दुर्घटना वाली जगह औरंगाबाद के पास करमंड से करीब 30-40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।’

 

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