1.62 करोड़ की साइबर ठगी का पर्दाफाश: जांजगीर-चांपा पुलिस ने तोड़ी मनी म्यूल नेटवर्क की कमर

जांजगीर-चांपा । छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा पुलिस ने साइबर अपराध की दुनिया में एक बड़ा झटका दिया है। पुलिस ने मनी म्यूल नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए 1 करोड़ 62 लाख रुपए की ठगी का खुलासा किया है। इस हाई-प्रोफाइल केस में सक्ती जिले से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनसे पूछताछ जारी है। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि ये आरोपी किसी बड़े साइबर गिरोह के मोहरे भर थे।
बैंक ब्रांच से मिली थी सुराग की पहली कड़ी
पूरा मामला चांपा थाना क्षेत्र का है, जहां ICICI बैंक की स्थानीय शाखा ने 1.62 करोड़ रुपए के संदिग्ध ट्रांजैक्शन की जानकारी दी। इसके साथ ही पुलिस को 100 से अधिक फर्जी बैंक खातों की मौजूदगी का भी पता चला। यही से शुरू हुई जांच ने साइबर ठगों के पूरे नेटवर्क की परतें खोल दीं।
कैसे किया गया था फ्रॉड?
आरोपी फर्जी खातों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह अवैध धन का ट्रांसफर कर रहे थे। इस प्रक्रिया में वे खुद को छिपाते हुए मनी म्यूल की तरह काम कर रहे थे – यानी दूसरे के कहने पर पैसा अपने खाते में लेकर आगे बढ़ाना, या फिर नकद निकालकर पहुंचाना।
गिरफ्तार हुए ये तीन आरोपी:
पंकज कुमार खूंटे
बलराम यादव
हरीश यादव
तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। पुलिस का मानना है कि इनसे पूछताछ के दौरान बड़े मास्टरमाइंड और नेटवर्क का खुलासा हो सकता है।
समन्वय पोर्टल बना गेम-चेंजर
इस मामले का सुराग पुलिस को समन्वय पोर्टल से मिला, जहां से साइबर सेल को अवैध ट्रांजैक्शन की जानकारी दी गई थी। SDPO यदुमणि सिदार के अनुसार, पोर्टल के इनपुट के आधार पर चांपा थाना में तीन अलग-अलग केस दर्ज किए गए और तीनों में कुल मिलाकर 1.62 करोड़ की ट्रांजैक्शन की पुष्टि हुई।
अब आगे क्या?
फिलहाल आरोपियों के खिलाफ IPC की ठगी संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि ये आरोपी किसके लिए काम करते थे, क्या इनका संबंध देशभर में फैले किसी साइबर सिंडिकेट से है?
मनी म्यूल क्या होता है?
‘मनी म्यूल’ ऐसा व्यक्ति होता है जो जानबूझकर या धोखे में आकर अवैध धन को अपने बैंक खाते के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में मदद करता है। कई बार लोगों को फर्जी जॉब ऑफर, इनाम या रिश्तेदारी के बहाने से फंसाकर उनका खाता इस्तेमाल किया जाता है।
इस केस ने एक बार फिर साबित किया है कि साइबर ठगी का नेटवर्क जितना जटिल है, उससे निपटने के लिए पुलिस और टेक्नोलॉजी का तालमेल उतना ही जरूरी है।