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दिव्यांगजनों का सशक्तिकरण बना विकसित भारत @2047 का मूल आधार, सरकार ने बनाई तेज़ कार्ययोजना

रायपुर । विकसित भारत @2047 की परिकल्पना तभी साकार होगी जब समाज का प्रत्येक वर्ग, विशेषकर दिव्यांगजन, आत्मनिर्भर और सशक्त हो। इसी सोच के साथ समाज कल्याण विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में व्यापक रणनीतियाँ तय की गईं।

बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में शत-प्रतिशत दिव्यांगजनों को कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़ते हुए उन्हें विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि वे स्व-रोज़गार से जुड़कर समाज की मुख्यधारा में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि वृद्धजनों और दिव्यांगजनों की लंबित पेंशन समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाएगा। इस कार्य को सेवा-भावना से करते हुए समय पर लाभ दिलाना सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

वृद्धाश्रमों, पुनर्वास केंद्रों और दिव्यांग संस्थाओं की व्यवस्थाओं को भी व्यवस्थित और सुदृढ़ किए जाने का निर्णय हुआ। वहीं तृतीय लिंग समुदाय के लिए भी पंजीयन प्रक्रिया तेज़ करने, और उन्हें राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं से लाभांवित करने के निर्देश जारी किए गए।

बैठक में यह भी तय किया गया कि जो भी जरूरतमंद दिव्यांगजन कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र, बैसाखी, ट्राइसायकल या फिजियोथेरेपी जैसे उपकरणों की आवश्यकता में हैं, उन्हें समय पर यह सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।

पिछले एक वर्ष में 137 विशेष स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से 7669 दिव्यांगजनों का परीक्षण हुआ, जिनमें से 6671 को सहायक उपकरण वितरित किए गए। यह पहल न सिर्फ उनकी दैनिक ज़िंदगी आसान बना रही है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी जगा रही है।

साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि सार्वजनिक स्थलों पर पाए जाने वाले बेघर, बेसहारा, घुमंतू, दिव्यांगजन, महिलाएं और बच्चे यदि पुनर्वास के योग्य हैं, तो उन्हें तुरंत सहायता उपलब्ध कराकर केंद्रों में भेजने की पुख़्ता व्यवस्था की जाए।

विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए भविष्य की कार्ययोजना पर भी गंभीर विमर्श हुआ। विभागीय हेल्पलाइन के प्रचार-प्रसार को व्यापक बनाने की बात भी सामने आई ताकि ज्यादा से ज्यादा ज़रूरतमंद लोग इसका लाभ उठा सकें।

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