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जग्गी हत्याकांड की पूरी कहानी : वो काण्ड जिसने अजीत और अमित जोगी को पहुँचाया था जेल

फोर्थ आई न्यूज़ एक बार फिर हाज़िर है आपके सामने अपने छत्तीसगढ़ का एक और बड़ा किस्सा लेकर, हाल ही में फोर्थ आई न्यूज़ ने हमारे दर्शकों को एक किस्सा बताया था कि किस तरह स्व अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए वर्तमान सीएम भूपेश बघेल के पिताजी नंदकुमार बघेल को जेल भेजवाया था अगर अपने वो किस्सा नहीं सुना है तो ऊपर आई बटन पर क्लिक करके हमारे प्रदेश का यह किस्सा ज़रूर देखें। आज फोर्थ आई न्यूज़ आपको हमारे छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़ा एक और ऐसा किस्सा बताने जा रहा है जब दूसरों को जेल भेजने वाले पूर्व सीएम अजित जोगी खुद जेल गए थे यहाँ तक की उनके बेटे अमित जोगी को भी 10 महीने जेल में बिताने पड़े थे।

यह बात आज से 19 साल पुरानी है, तब छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से विभाजित होकर अलग राज्य बने महज़ 3 साल हुए थे , उस समय हमारे प्रदेश के बड़े राजनेताओं में से एक थे रामावतार जग्गी, वो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष थे और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2003 से ठीक पहले 4 जून 2003 को रामावतार जग्गी की राजधानी रायपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रदेश में चारों तरफ इस हत्याकांड से हड़कंप मच गया और यह मामला रातोंरात सुर्ख़ियों में आ गया। राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने हत्या के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी पर उनके पिता की मौत का आरोप लगाया था। सतीश जग्गी ने दोनों के खिलाफ एक प्राथमिक रिपोर्ट भी दर्ज की थी।

जिसेक बाद रायपुर की ही एक अदालत से वारंट जारी होने के बाद पुलिस ने अजीत जोगी को राजनांदगाँव के वीरेंद्रनगर से गिरफ़्तार कर लिया था. इसके बाद तबीयत ख़राब होने की वजह से उन्हें रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती किया गया. अजीत जोगी के वकील एसके फ़रहान ने उनकी ज़मानत के लिए निचली अदालत में अर्ज़ी दाख़िल की थी लेकिन अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सत्र न्यायालय में अपील की जिसे स्वीकार करते हुए मामले को वीएल तिर्के की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया. इसी अदालत में रामअवतार जग्गी हत्याकांड के सभी मामलों की सुनवाई चली। जस्टिस वीएल तिर्के की अदालत ने जोगी के ख़राब स्वास्थ्य को देखते हुए एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी.

इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और राज्य में सत्ता परिवर्तन करते हुए बीजेपी की सरकार आई। भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले की फाइल खोलते हुए इसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया। सीबीआई ने अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को मुख्य अभियुक्त माना था। सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे और मरवाही के पूर्व विधायक अमित जोगी सहित 31 लोगों को आरोपी ठहराते हुए रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया था. जिसके बाद अमित जोगी को करीब 10 महीने जेल में ही बिताने पड़े थे। इसके बाद उन्हें ज़मानत दे दी गई।

कोर्ट ने 31 मई 2007 को दिए गए फैसले में विशेष न्यायाधीश बीएल तिड़के की कोर्ट ने अमित जोगी सहित विश्वनाथ राजभर, विनोद सिंह, श्यामसुंदर उर्फ आनंद, अविनाश उर्फ लल्लन सिंह, तथा जामवंत कश्यप को दोषमुक्त ठहराया था. 19 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसमे शूटर चिमन सिंह और वर्तमान महापौर एजाज़ ढेबर के भाई याहया ढेबर शामिल थे। इस मामले में पांच पुलिस अधिकारियों को भी पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी. लगभग सभी आरोपियों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी और इस तरह से सिर्फ कुछ चुनिंदा आरोपियों की गिरफ़्तारी के बाद इस केस की फाइल हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दी गई।

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