
कहते हैं कि हाथों की लकीरों को क्या देखते हो ज़िन्दगी के मुसाफिरों, किस्मत तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। कुछ ऐसा ही पढाई और गरीबी का रिश्ता होगा। अमीरों के बच्चे जहाँ अच्छे स्कूलों में पढ़कर भी कई दफा नाक़ाबिल हो जाते हैं वहीं गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़कर भी अपने हालातों से लड़कर अपने परिवार का सहारा बन जाता है। आज। …..न्यूज़ आपको एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बतानेजा रहा है जिन्होनें अपनी गरीबी को कभी अपने हौसलों के आगे आने नहीं दिया और इनके जज़्बे के आगे इनके हालातों ने भी घुटने टेक दिए और इन्हें उन्नत्ति के उस शिखर तक पहुँचाया जहाँ पहुँचने का सपना हर दिन लाखों लोग देखते हैं।
4TH EYE न्यूज़ की स्पेशल सीरीज में आज हम लेकर आए हैं IAS अंसार शेख की ज़िंदगानी। अंसार शेख महाराष्ट्र के जालना गांव के एक ऐसे गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं जहाँ दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष कम नहीं थे। उनके पिता ने महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में ऑटो चलाकर उन्हें पाला-पोसा है। अंसार के पिता ने तीन शादियां की थीं. वह दूसरी पत्नी के बेटे हैं. अंसार के भाई पेशे से मैकेनिक हैं। बचपन में अंसार ने कई बार अपने सपनों की कुर्बानी गरीबी की वजह से दी है। लेकिन बावजूद इसके इन ज़ंजीरों को तोड़कर कुछ कर गुजरने का जज़्बा इन्हें ज़िन्दगी में इतना आगे लेकर आया।
आपको बता दें कि अंसार की ज़िन्दगी में एक समय ऐसा भी आया था जब उनके पिता और रिश्तेदारों ने स्कूल की फीस भरने में असमर्थता की वजह से अंसार की पढाई छुड़ाने तक का फैसला कर लिया था। स्कूल से अंसार का नाम कटवाने उनके पिता स्कूल तक पहुँच गए थे लेकिन तभी एक शिक्षक ने उनके पिता को समझाया कि ऐसा करना अंसार के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। क्योंकि अंसार पढ़ाई में बहुत होशियार थे उनमें लगातार कुछ नया सीखने की ललक रहा करती थी। इसके बाद किसी तरह अंसार की स्कूली पढ़ाई की गाडी आगे बढ़ी और उन्होंने 12वीं में 91 प्रतिशत अंक हासिल करते हुए अपने शिक्षक की समझाइश को बिलकुल सच साबित कर दिया।
बस फिर क्या था, अंसार के घरवाले समझ गए थे कि अंसार की पढाई में अब कभी रूकावट नहीं आने देनी है। स्कूली पढ़ाई के बाद IAS अंसार शेख ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। जिसमें वो 73 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण हुए। जब अंसार ने प्रशासनिक सेवा में जाने का मन बनाया तो उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते हुए लगातार तीन सालों तक हर दिन लगभग 12 घंटे काम किया. उन्होंने एक साल के लिए कोचिंग जॉइन की थी. उनकी आर्थिक हालत को देखते हुए कोचिंग अकादमी ने उनकी फीस का एक हिस्सा माफ कर दिया था।
इतनी कठिनाइयों से जूझते हुए भी अंसार शेख अपने लक्ष्य को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे. साल 2015 में यूपीएससी परीक्षा के अपने पहले ही एटेम्पट में अंसार ने आल इंडिया 361वीं रैंक हासिल कर सिर्फ 21 साल की उम्र में आईएस अफसर बनने की एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। आज अंसार देश के सबसे कम उम्र के IAS ऑफिसर हैं और अभी तक उनका यह रिकॉर्ड कोई भी नहीं ब्रेक कर पाया है।