
रायपुर। भिलाई में पंद्रह मिनट का अंधेरा, सायरन गूंजे, सड़कें थमीं—देशभर में हुई मॉकड्रिल का रोमांचक नज़ारा दुर्ग में दिखा, बुधवार की शाम जब घड़ी ने साढ़े सात बजाए, तब भिलाई शहर अचानक अंधेरे में डूब गया। न घरों की रौशनी, न दुकानों की चहल-पहल और न ही सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार। चारों ओर सन्नाटा, बीच-बीच में गूंजते सायरन और हाथ में लाउडस्पीकर लिए अफसरों की चेतावनी—जैसे कोई युद्ध की तैयारी हो। लेकिन हकीकत में यह था एक सिविल डिफेंस मॉकड्रिल।
ब्लैकआउट नहीं, सुरक्षा का अभ्यास था.
पाकिस्तान से तनाव के मद्देनज़र देशभर के दो सौ चवालीस संवेदनशील इलाकों में एक साथ सिविल डिफेंस की मॉकड्रिल आयोजित की गई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का भिलाई शहर भी इस अभ्यास का अहम हिस्सा रहा। यहां दो चरणों में युद्ध जैसी स्थिति से निपटने की रिहर्सल की गई। शाम साढ़े सात बजे से सात बजकर पैंतालीस मिनट तक पूरा शहर ब्लैकआउट में रहा। न केवल लाइटें बंद रहीं, बल्कि सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां भी थम गईं। हेडलाइट्स बंद कर वाहन रोक दिए गए।
कैसे हुआ ब्लैकआउट? पूरी कहानी जानिए
शाम सात बजे से ही बीएसपी के पास के इलाकों में हलचल शुरू हो गई थी। मुर्गा चौक से लेकर सेक्टर-एक ओवरब्रिज तक अफसरों ने पोजिशन ले ली थी।
सात बजकर तीस मिनट पर जैसे ही दो मिनट तक तेज़-धीमी आवाज़ वाला “रेड अलर्ट सायरन” बजा, पूरा शहर अलर्ट मोड पर आ गया।
• दुकानें और घरों की लाइट बंद
• गाड़ियां रुकीं, हेडलाइट्स और बैकलाइट्स ऑफ
• पुलिस का एलान— “जहां हैं वहीं रहें, ज़मीन पर लेट जाएं, हवाई हमला हुआ है”
पंद्रह मिनट तक पूरा शहर जैसे सांस रोक कर बैठा रहा। न कोई शोर, न कोई चहल-पहल।
सात बजकर पैंतालीस मिनट पर “ग्रीन अलर्ट” बजा, यानी ऑल-क्लियर सिग्नल। इसके साथ ही शहर फिर से अपनी रफ्तार में लौट आया।
लोग बोले, डर किस बात का
मॉकड्रिल के दौरान जब एक स्थानीय युवक से पूछा गया कि क्या डर लगा, तो उसका जवाब था, “डर किस बात का? ये सब देशहित में हो रहा है।” उसके चेहरे पर न कोई चिंता थी, न घबराहट। और यही भावना बाकी लोगों की आंखों में भी थी। जैसे सब तैयार हैं देश के लिए।
पहला फेज—आग, रेस्क्यू और घायल जवानों का रिहर्सल
ब्लैकआउट से पहले एसडीआरएफ की टीम ने आग लगने पर काबू पाने और घायल जवानों को सुरक्षित निकालने की रिहर्सल की। अफसरों ने लोगों को सिखाया कि हवाई हमले की स्थिति में कैसे खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखा जाए।
दुर्ग क्यों चुना गया मॉकड्रिल के लिए?
देश के संवेदनशील इलाकों को सिविल डिफेंस ने तीन कैटेगरी में बांटा है—.
• कैटेगरी-एक: अति संवेदनशील
• कैटेगरी-दो: संवेदनशील
• कैटेगरी-तीन: सामान्य
दुर्ग को कैटेगरी-दो में रखा गया है, क्योंकि यहां मौजूद है भिलाई स्टील प्लांट—देश की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से अहम इकाई।
एडिशनल एसपी ने दी जानकारी
मौके पर मौजूद दुर्ग ग्रामीण के एडिशनल एसपी अभिषेक झा ने बताया, “यह सिविल डिफेंस मॉकड्रिल का पहला फेज था। इसके बाद बीएसपी से सटे इलाकों में दूसरा फेज किया गया, जिसमें दोबारा ब्लैकआउट रहा।”
अभ्यास था लेकिन संदेश साफ था—देश तैयार है, नागरिक सजग हैं और दुश्मन को जवाब देने में हम एकजुट हैं। क्या आप भी मॉकड्रिल का हिस्सा बने थे?, कैसा रहा अनुभव?, अपनी राय भी आप कमेंट बॉक्स के जरिये हमतक और दूसरे दर्शकों तक जरूर पहुंचाएं ।