ट्रंप ने तुर्की को F-35 प्रोग्राम में वापस लाने का संकेत, यूक्रेन युद्ध समाप्ति पर शर्त रखी

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यर एर्दोगन के साथ हाल ही में वाइट हाउस में हुई बैठक के बाद एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। ट्रंप ने कहा है कि अगर तुर्की यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में मदद करता है, तो अमेरिका तुर्की को एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट प्रोग्राम में वापस शामिल करने और रूस से खरीदे गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के कारण लगे प्रतिबंध हटाने पर गंभीरता से विचार करेगा।
तुर्की रूस का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और पिछले वर्ष लगभग 52 अरब डॉलर के व्यापार में मुख्य रूप से कच्चा तेल, गैस और इलेक्ट्रॉनिक्स का कारोबार शामिल है। 2019 में रूस से S-400 सिस्टम खरीदने के कारण तुर्की को एफ-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि अमेरिका ने इसकी तकनीकी सुरक्षा को खतरा बताया था।
हालांकि, ट्रंप की सरकार इस नीतिगत फैसले को उलटने की दिशा में कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि एर्दोगन का पुतिन पर प्रभाव है, और तुर्की रूस से तेल और गैस खरीदना बंद करे तो बेहतर होगा। लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर तुर्की यूक्रेन युद्ध समाप्ति में मदद करता है, तो अमेरिका तुर्की पर लगे प्रतिबंध हटा सकता है।
इस बीच, इजरायल ने लगातार तुर्की को एफ-35 देने का विरोध किया है, लेकिन ट्रंप के कदम से अमेरिकी विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
तुर्की में अमेरिका के राजदूत टॉम बैरक ने पहले कहा था कि साल के अंत तक इस विवाद का समाधान हो सकता है। यदि तुर्की को एफ-35 मिले और एस-400 सिस्टम भी बना रहे, तो यह अमेरिकी सैन्य तकनीक की सुरक्षा को लेकर एक नया सवाल खड़ा करेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की यह रणनीति अमेरिका की जियो-पॉलिटिक्स को फिर से खिलाड़ी की तरह बदल सकती है, जिसमें हितों और वैश्विक समीकरणों को पुनः परिभाषित करने की कोशिश की जा रही है।



